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सलाम है राजस्थान के इन युवाओं को , खुद का सुख चैन त्याग कर सरकारी स्कूल के बच्चों को दे रहे यूं आराम

locationअजमेरPublished: Jul 10, 2018 08:26:00 pm

Submitted by:

सोनम

शहर के कुछ युवाओं ने सरकारी स्कूलों में सुविधाएं जुटाने का बीड़ा उठाया है। यह युवा गांवों और शहरी क्षेत्र की सरकारी स्कूलों में कक्षा कक्ष बनवाते है।

salute to them who is giving facilities to gov school students

सलाम है राजस्थान के इन युवाओं को , खुद का सुख चैन त्याग कर सरकारी स्कूल के बच्चों को दे रहे यूं आराम

अजमेर. शहर के कुछ युवाओं ने सरकारी स्कूलों में सुविधाएं जुटाने का बीड़ा उठाया है। यह युवा गांवों और शहरी क्षेत्र की सरकारी स्कूलों में कक्षा कक्ष बनवाते है। फर्नीचर बनवाते है। स्वाधीनता दिवस व गणतंत्र दिवस पर स्कूलों में जाकर मिठाइयां भी बांटते है। पिछले करीब ढाई सालों में स्कूलों के विकास पर 30 लाख से ज्यादा रुपए खर्च कर चुके है।
फारकिया स्थित राजकीय स्कूल में कक्षा कक्षों की कमी थी। इसके चलते एक कक्ष में दो कक्षाओं का संचालन किया जा रहा था। विद्यार्थियों की सही से पढ़ाई नहीं हो पा रही थी। युवाओं ने को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने राजकीय विद्यालय फारकिया में 4 कमरे बनवाए। कमरे भी ऐसे जिन्हें देखकर निजी स्कूलों की कक्षाएं भी फीकी लगे। कमरों की दीवारों पर रंगों से सजाया गया। हर कमरे में अलग-अलग पेंटिंग्स है, ताकि विद्यार्थी अपने आप को खास महसूस करें। इसी तरह अर्जुनलाल सेठी नगर स्थित राजकीय विद्यालय में भी तीन कमरे बनवाए। कड़ैल के राजकीय विद्यालय में फर्नीचर की व्यवस्था की।
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शिक्षा से आजादी
युवा शिक्षा से आजादी मुहिम के तहत राउण्ड टेबल क्लब के बैनर तले यह गतिविधियां करते है। बाइस सदस्यों के इस क्लब में सभी युवा हैं और सभी संपन्न परिवारों से हैं। आम तौर पर जहां देखा जाता है कि पैसे की चकाचौंध में युवा पार्टियों और चिल आउट में ही मस्त रहते हैं। वहीं यह युवा सामाजिक सरोकार की गतिविधियां कर रहे है।
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‘ताकि सुविधापूर्ण वातावरण में पढ़ सकें

हम सरकारी स्कूलों और गांवों के बच्चों को खास महसूस कराना चाहते है। उन्हें बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाना चाहते है, ताकि वे सुविधापूर्ण वातावरण में पढ़ सकें। हम पहले स्कूल में क्या जरूरत है यह पता लगाते हैं। उसके बाद आवश्यकता अनुसार फंड जुटाते है। इसके लिए हम कुछ गतिविधियां करवाते है जैसे डांडिया, फिल्म आदि। इससे काफी लोग जुड़ते है। हम समय-समय पर स्कूलों में जाते भी है। स्वतंत्रता दिवस, बाल दिवस और गणतंत्र दिवस स्कूलों में मनाने जाते है।
-सौरभ गहलोत, अध्यक्ष युवा उद्यमी
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