पीडि़त छात्र के पिता ने बताया कि उन्हें स्कूल प्रबंधन की ओर से मेल मिला। उन्हें 13 या 16 अगस्त को स्कूल प्रबंधन की ओर से गठित कमेटी के समक्ष छात्र के बयान दर्ज करवाने होंगे। पीडि़त अपने परिजन के साथ सोमवार को अजमेर पहुंचा। स्कूल प्रबंधन ने जूनियर स्कूल के हेडमास्टर को जांच कमेटी का चेयरमैन बनाया था। वहीं बयान के वक्त चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर मौजूद रहे। आपत्ति के बाद भी जांच कमेटी ने छात्र के बयान बंद कमरे में परिजनों की गैरमौजूदगी में दर्ज किए।
करीब तीन घंटे तक बंद कमरे में चले बयान के बाद परिजन व पीडि़त छात्र ने बयान की प्रति मांगी लेकिन उन्होंने बयान की प्रति देने से इन्कार कर दिया। प्रति मांगने पर प्रबंधन की ओर से छात्र व उसके परिजन से अभद्र व्यवहार किया। जिस पर उन्होंने अलवर गेट थानाप्रभारी हरिपाल सिंह से मदद मांगी। सूचना मिलते ही एसएचओ सिंह, अनुसंधान अधिकारी(सीओ) गजेन्द्र सिंह शिक्षण संस्थान पहुंच गए। आखिर संस्थान की जांच कमेटी ने पुलिस के समक्ष भी बयान की प्रति देने से इन्कार कर दिया। आखिर पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में स्कूल प्रबंधन ने बयान की प्रति को आगे के हवाले कर दिया।
छात्र ने लगाए आरोप पीडि़त छात्र ने बताया कि जांच कमेटी के समक्ष उसने बयान हिन्दी में लिखने की प्रार्थना की लेकिन उन्होंने उसे धमकाते हुए बयान अंग्रेजी में ही दर्ज किए। उसको धमकाते हुए उस पर साइन करवाए। छात्र ने बताया कि बयान में 8 जुलाई से 16 जुलाई तक का घटनाक्रम शामिल किया जबकि उसने 16 से 29 जुलाई तक के घटनाक्रम को शामिल करने की बात कही लेकिन उन्होंने इन्कार कर दिया।
मंशा पर सवालिया निशान
पीडि़त छात्र के पिता ने शिक्षण संस्थान की मंशा पर सवालिया निशान लगाया। उन्होंने तर्क दिया कि अदालत में भी पीडि़त से एक परिजन की मौजूदगी में बयान दर्ज किए लेकिन स्कूल प्रबंधन व जांच कमेटी छात्र पर दबाव बनाना रही है जबकि पहले स्कूल प्रबंधन ने पूर्व में पुलिस अनुसंधान का हवाला देकर कमेटी गठन से इनकार कर दिया था। बयान दर्जकर उसे आग के हवाले कर देना भी बयानों में हेरफेर की मंशा को जाहिर करता है।
अभद्रता का आरोप पीडि़त के पिता ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने बयानों की प्रति मांगी और पढ़ाने की बात कही तो जांच कमेटी सदस्य व प्रबंधन अभद्रता पर उतर आया। पीडि़त परिवार का कहना था कि पुलिस प्रशासन ने भी बयान की प्रति देने के लिए कहा लेकिन प्रबंधन की रजामंदी के बिना बयानों की प्रति नहीं देने पर अड़े रहे। आखिर पुलिस की मौजूदगी में बयान को जला दिया।