जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में संभाग के गंभीर रोगियों को भर्ती कराने के चलते विभिन्न विभागों के आईसीयू, कैज्युल्टी वार्ड, अन्य वार्डों में मरीजों की मंगलवार अपराह्न 3 से बुधवार अपराह्न 3 बजे तक इतनी मौतें हुई हैं।
मेडिकल शिक्षकों (फैकल्टी) की ड्यूटी से आउटडोर व ऑपरेशन सहित अन्य कार्य तो चल रहे हैं लेकिन वार्डों में रेजीडेंट चिकित्सक व सीनियर चिकित्सकों के ड्यूटी पर नहीं होने से इस तरह की स्थिति उत्पन्न हो रही है। उधर, मेडिकल कॉलेज के प्रिंसीपल डॉ. आर.के. गोखरू ने बताया कि फैकल्टी मेम्बर्स ड्यूटी दे रहे हैं। अस्पताल में रात्रि में अगर किसी चिकित्सक की ड्यूटी नहीं थी तो जानकारी लेकर व्यवस्था करवाएंगे।
ष व आयुर्वेद चिकित्सकों की वैकल्पिक व्यवस्था, कैज्युल्टी के वार्ड भी अब होने लगे खाली, जेएलएनएच में पांच मरीजों की हो चुकी है मौत अजमेर. अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ एवं रेजीडेंट चिकित्सकों के कार्य बहिष्कार एवं हड़ताल पर चले जाने से अजमेर जिला ही नहीं बल्कि पूरे संभाग के चारों जिलों की चिकित्सा व्यवस्थाएं चरमराने लगी है। जेएलएन मेडिकल कॉलेज के करीब 150 चिकित्सक शिक्षकों के भरोसे अजमेर संभाग के मरीज हैं। वैकल्पिक व्यवस्था यूं तो सभी जिलों में आयुष एवं आयुर्वेद चिकित्सकों की गई है मगर इससे पार नहीं पड़ रहा है।
जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, पीएमओ स्तर के चिकित्सक, जिला चिकित्सालयों में सेवारत चिकित्सकों के कार्य बहिष्कार पर चले जाने से पूरा दबाव जेएलएन अस्पताल पर आ गया है। गंभीर घायलों व गंभीर रोगियों को जेएलएन अस्पताल में पहुंचाने के बावजूद भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या घट रही है। सोमवार दोपहर 3 बजे बाद से से मंगलवार अपराह्न 3 बजे तक 5 मरीजों की अस्पताल में मौत हो चुकी है।
वैसे आम दिनों में भी जेएलएन अस्पताल में गंभीर रोगियों की मौतें होती रही हैं। जेएलएन अस्पताल के 210 रेजीडेंट चिकित्सकों के बाद शेष 60 और रेजीडेंट चिकित्सक कार्य बहिष्कार कर हड़ताल पर चले गए हैं। जेएलएन अस्पताल में अजमेर, टोंक, नागौर एवं भीलवाड़ा जिलों के मरीज भर्ती हैं। कैज्युल्टी के वार्ड मंगलवार को खाली हो गए, चिकित्सक भी अब मरीजों को कम ही भर्ती कर रहे हैं।