गैर स्वच्छ ईंधन में दूसरे स्थान पर राजस्थान गैर स्वच्छ ईंधन उपयोग करने के मामले में राजस्थान देश में दूसरे स्थान पर है। पहले पर बंगाल है, जहां केवल 40.2 घरों में स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल होता है। राजस्थान में यह 41.4 प्रतिशत है। प्रदेश के शेष घरों में सूखी लकड़ी, गोबर के थेपले का इस्तेमाल करके खाना पकाया जाता है। स्वच्छ ईंधन उपयोग करने में 79.7 प्रतिशत के साथ महाराष्ट्र व कर्नाटक पहले स्थान पर है।
ये हो सकते हैं विकल्प बांस से बनी पर्यावरण अनुकूल ईयरबड्स बांस से बनी पर्यावरण अनुकूल डंडियां कागज़ व कपडे के झंडे लकड़ी व बांस की स्टिक कागज़ के स्ट्रॉ
सजावटी पेपर व अन्य सामग्री कागज़ से निर्मित सामान कांच, स्टील, पेपर, बोन चाइना व मिट्टी से बनी वस्तुएं सिरेमिक के बर्तन बांस व लकड़ी से बने आइटम्स परंपरागत मिट्टी के पात्र
पत्तों से निर्मित आइटम्स कपड़े/ कागज़ / जूट से बने थैले इन उत्पादों पर लगेगा बैन प्लास्टिक स्टिक वाले ईयरबड्स् गुब्बारे में लगने वाले प्लास्टिक स्टिक प्लास्टिक के झंडे
कैंडी स्टिक आइस्क्रीम स्टिक सजावट वाले थर्माकोल प्लास्टिक कप, प्लेट, गिलास, कांटा, चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ, ट्रे जैसी कटलरी आइटम मिठाई के डिब्बों पर लगाई जाने वाली प्लास्टिक फिल्म प्लास्टिक के निमंत्रण पत्र
प्लास्टिक से बने सिगरेट के पैकेट 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले पीवीसी बैनर 75 माइक्रोन से कम मोटाई वाली थैलियां विभाग ने की कार्रवाई विभाग की ओर से सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पाद बनाने वाली इकाइयों का सर्वे किया जा चुका है। 15 जून तक सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पादन बंद करना था। ऐसा नहीं करने वाली इकाइयों को नोटिस दिए।औद्योगिक क्षेत्र पालरा व गेगल में िस्थत 5 बड़ी इकाइयों को सीज किया जा चुका है। अन्य ने स्वयं के स्तर पर मशीनों से उत्पादन का काम रोक दिया है।
दीपक तंवर, क्षेत्रीय अधिकारी, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल, किशनगढ़ का कहना है कि सिंगल यूज प्लास्टिक प्रोडक्ट्स बनाने वाली इकाइयों पर कार्रवाई की गई है। साथ ही, इसके विकल्प के रूप में काम में लिए जाने वाले उत्पादों के उपयोग के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं।