विश्वविद्यालय में कुलपति सचिवालय सहित महाराणा प्रताप भवन, चाणक्य भवन, केंद्रीय पुस्तकालय, कणाद भवन, विक्रमादित्य और कुबेर भवन, चरक, महर्षि वाल्मीकि भवन, नचिकेता और गार्गी छात्रावास, पतंजलि, आर्यभट्ट और अमृतायन भवन बने हैं। सभी भवनों और छात्रावास मौजूद वक्त अजमेर डिस्कॉम से मिलने वाली बिजली पर निर्भर हैं। लाइट जाने पर जनरेटर का इस्तेमाल किया जाता है।
पैनल लगाने का काम शुरू भवनों की छत पर सौर पैनल लगाने का काम शुरू हो गया है। इससे प्रत्येक परिसर में सूरज की रोशनी से ऊर्जा तैयार होगी। पूरे परिसर में करीब 500 किलोवाट का सौर ऊर्जा प्लान्ट लगाया जाएगा। वित्त विभाग और सौर पैनल-प्लांट लगाने वाली कम्पनी के बीच एमओयू हुआ है। इस पर करीब 1 करोड़ रुपए खर्च होने की उम्मीद है।
बचत के साथ आय भी… सौर ऊर्जा प्लान्ट शुरू होने के बाद विश्वविद्यालय को फायदा होगा। जहां अजमेर डिस्कॉम से मिलने वाली बिजली की खपत कम होगी। इससे लाखों रुपए के बिजली के बिल घटेंगे। वहीं सौर ऊर्जा प्लान्ट से उत्पन्न बिजली को विश्वविद्यालय अजमेर डिस्कॉम को बेच भी सकेगा। इससे राजस्व आय भी प्राप्त होगी।
ग्रीन कॉरिडोर का इंतजार विश्वविद्यालय में जैव विविधता पार्क और ग्रीन कॉरिडोर बनाया जाना प्रस्तावित है। जहां पार्क में राज्य के पारम्परिक खेजड़ी, रोहिड़ा सहित सभी फलदार-छायादार पौधे लगाए जाने हैं। इसके लिए बीते साल विधायक सुरेश रावत ने 20 लाख रुपए देने की घोषणा भी की थी। जबकि महापौर धर्मेन्द्र गहलोत ने विश्वविद्यालय को नगर निगम क्षेत्र में नहीं बताते हुए किसी अन्य संस्था से सहयोग दिलाने की बात कही थी। इसके बावजूद एक साल से कोई काम शुरू नहीं हुआ है।