प्रतिवर्ष रमजान माह में मुस्लिम धर्मावलम्बी रोजे रखते हैं। यह महीना बेहद पवित्र और खुदा की इबादत वाला माना जाता है। रमजान माह के दौरान करीब 30 दिन तक मुस्लिम लोग दिनभर कुछ नहीं खाते-पीते हैं। प्रतिदिन शाम को निर्धारित वक्त पर रोजा खोला जाता है। इसके बाद तड़के वापस रोजा शुरू हो जाता है।
बच्चे भी रखते हैं रोजे मुस्लिम धर्म में माता-पिता के अलावा बच्चे भी रोजे रखते हैं। इस दौरान बच्चों को रोजा रखना सिखाया जाता है। मुस्लिम घरों में उम्रदराज या बीमार बुजुर्ग को रोजे रखने की छूट होती है। ऐसा स्वास्थ्य को देखते हुए किया जाता है। इनके अलावा घर के सभी सदस्य रोजा रखते हैं। यह सिलसिला पूरे रमजान के दौरान जारी रहता है।
होती है इफ्तार पार्टियां रमजान के दौरान मुस्लिम धर्मावलंबियों के लिए शहर में कई जगह इफ्तार पार्टियां होती हैं। इफ्तार में प्रशासन और पुलिस के अधिकारी, जनप्रतिनिधि, आमजन, विद्यार्थी सहित विभिन्न धर्मों के लोग शिरकत करते हैं। इफ्तार का आयोजन एक तरह से आपसी मेल-जोल बढ़ाने का माध्यम भी होता है। यह देश की सर्वपंथ समभाव की संस्कृति का परिचायक होती है।
फिर आती है मीठी ईद रमजान माह के अंतिम ईदुल फितर यानि मीठी ईद मनाई जाती है। ईद से एक-दो दिन पहले मुस्लिम घरों में पकवान बनने शुरू हो जाते हैं। इनमें सेवइयां, मिठाइयां, नमकीन और अन्य सामग्री शामिल होती है। बाजारों में महिलाएं नए कपड़े, मेहन्दी, चूड़ी और अन्य सामग्री खरीददती हैं। पुरुष और बच्चों के लिए भी रेडिमेड या नए कपड़े सिलाई जाते हैं। ईद के मौके पर ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह और मस्जिदों में विशेष नमाज अदा की जाती है।
ईद की मुबारकबाद ईद के मौके पर सभी धर्मों के लोग मुस्लिम घरों में जाकर ईद की मुबारकबाद देते हैं। यह सिलसिला सदियों से जारी है। मुस्लिम घरों में दिवाली की तरह रोशनी और सजावट की जाती है। खासतौर पर मीठी सेवइयां और मिठाई खिलाई जाती है।