दो दिन से रोजेदार अलसुबह सेहरी के लिए उठ रहे हैं। साथ ही खुदा की इबादत में जुट रहे हैं। लगातार दो दिन से शाम को ख्वाजा साहब की दरगाह स्थित अहाता-ए-नूर, पांयती दरवाजा, शाहजहानी मस्जिद, छोटी-बड़ी देग, महफिलखाना, झालरा आदि स्थानों पर रोजेदार बैठे। यहां शाम को बड़े पीर की पहाड़ी से तोप दागी जाती है। तोप की आवाज के साथ रोजा खोले जा रहे हैं। रात को दरगाह सहित विभिन्न मस्जिदों में तरावीह की नमाज भी शुरु हो गई है। इसमें बड़ी संख्या में रोजेदार शामिल हो रहे हैं।
अजमेर में ही चलती है तोप ख्वाजा साहब की दरगाह के निकट बड़े पीर की पहाड़ी पर तोप चलाई जाती है। यह तोप चलाने का काम फौजिया नाम की लड़की करती है। पहले उसके पिता यह तोप चलाया करते थे। फौजिया को उन्होंने बाकायदा तोप चलाने का प्रशिक्षण दिया। अब वह ख्वाजा साहब के सालाना उर्स, ईद, रमजान महीने और अन्य मौकों पर तोप चलाती है। इसकी आवाज सुनकर मुस्लिम अपने त्यौंहारों की तैयारियों में जुटते हैं। यह तोप कई सदियों से अजमेर में चलाई जा रही है। यहां कई बादशाह, सम्राट, कई देशों के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल हाजिरी दे चुके हैं।
जिले में भी रोजे का दौर
नसीराबाद में मुस्लिम धर्मावलम्बियों का रमजान का पवित्र माह गुरुवार की रात चांद दिख जाने के बाद शुरू हो चुका है। चांद दिखते ही मस्जिदों में तरावीह शुरू हो गई। जिसमें सभी मुस्लिम धर्मावलंबियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। शुक्रवार और शनिवार सुबह सहरी कर मुस्लिम धर्मावलंबियों ने रोजा रखा और शाम को मस्जिदों में नमाज पढ़ तरावीह सुनी। शाम को अजान के बाद रोजेदारों ने रोजा खोला।
वक्त सेहरी-अफ्तार रविवार – खत्म सेहरी – 4.09