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अजमेर

परेशान है राजस्थान का यह शहर, सरकारी नहीं चाहती भला करना

खास फैसले और योजनाएं अटकी हुई हैं।

अजमेरJun 13, 2019 / 09:50 am

raktim tiwari

mds univeristy ajmer

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अजमेर.

सरकार ने शायद अजमेर को भुला दिया है। कई सरकारी महकमे-संस्थाएं कार्यवाहकों के ‘भरोसे ’ संचालित है। कहीं तीन साल तो कहीं नौ महीने से मुखिया नहीं है। स्थाई-वैकल्पिक नियुक्तियों के अभाव में महकमों की दिक्कतें बढ़ गई हैं। इन दफ्तरों-संस्थानों में केवल पत्रावलियां निकल रही हैं। खास फैसले और योजनाएं अटकी हुई हैं।
कुलपति के कामकाज पर रोक

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में नौ महीने से कुलपति के कामकाज पर रोक लगी हुई है। इसके चलते विश्वविद्यालय के अहम वित्तीय, प्रशासनिक और शैक्षिक कार्य प्रभावित हैं। राजभवन ने डीन कमेटी को परीक्षात्मक और कुछ कामकाज के लिए अधिकृत किया है। यहां स्थाई कुलसचिव भी नहीं है। वित्त अधिकारी भागीरथ सोनी ही यह जिम्मेदारी संभाले हुए हैं। यहां सहायक अभियंता का पद भी लम्बे अर्से से रिक्त है।
कार्यवाहक प्राचार्य के भरोसे
राजकीय बॉयज इंजीनियरिंग कॉलेज में वर्ष 2015 से स्थाई प्राचार्य पद रिक्त हैं। इस अवधि में यहां डॉ. डॉ. जे. पी. भामू और प्रो.रंजन माहेश्वरी ने अस्थाई रूप से जिम्मेदारी संभाली। फिलहाल बॉयज कॉलेज के कार्यवाहक प्राचार्य यहीं के रीडर डॉ. रोहित मिश्रा के पास जिम्मेदारी हैं। यहां की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हैं। प्रतिमाह स्टाफ का वेतन चुकाने में कॉलेज को पसीने छूट रहे हैं। महिला इंजीनियरिंग कॉलेज में भी दिसंबर 2017 से स्थाई प्राचार्य नहीं है। तत्कालीन प्राचार्य डॉ. अजय सिंह जेठू के इस्तीफा देने के बाद प्रो. रंजन माहेश्वरी प्राचार्य रहे। मौजूदा वक्त डॉ. जे. के. डीगवाल कार्यवाहक प्राचार्य हैं।
स्थाई निदेशक की नहीं नियुक्ति

आयुर्वेद विभाग का अजमेर में निदेशालय है। पूर्व में यहां आयुर्वेद विभाग के वैद्य अथवा आयुर्वेद सेवाधिकारी ही निदेशक बनाए जाते थे। बीते चार-पांच साल से सरकार यहां आरएएस अथवा आईएएस अधिकारियों को ही निदेशक पद का अतिरिक्त दायित्व सौंप रही है। इनमें कई अफसर तो ऐसे रहे जिनका ताल्लुक जयपुर से ज्यादा रहा। इसके चलते वे निदेशालय को ज्यादा समय नहीं दे पाए।
हो जाएंगे चार सदस्यों के पद रिक्त
राजस्थान लोक सेवा आयोग में अध्यक्ष के अलावा सात सदस्य होते हैं। मौजूदा वक्त अध्यक्ष दीपक उप्रेती के अलावा डॉ. शिवसिंह राठौड़, डॉ. के. आर. बगडिय़ा, सुरजीलाल मीना, राजकुमारी गुर्जर और रामूराम राईका ही सदस्य हैं। इनमें से बगडिय़ा और मीना का कार्यकाल आगामी 18 जून को खत्म हो जाएगा। इसके बाद आयोग में चार सदस्यों के पद रिक्त हो जाएंगे। मालूम हो कि आयोग में वर्ष 2017 में करीब ढाई महीने और 2018 में करीब 70 दिन अध्यक्ष पद भी खाली रहा था।

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