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अजमेर

sting operation : यहां इशारों में मिल जाती है ऐसी दवा

sting operation : बीते साल शहर में नशीली दवाओं का काला कारोबार पकड़े जाने के बावजूद कुछ मेडिकल स्टोर संचालक बाज नहीं आ रहे। कई केमिस्ट आज भी बिना चिकित्सक की पर्ची के खुलेआम प्रतिबंधित दवाओं को बेच रहे हैं। राजस्थान पत्रिका के sting operation में इसका खुलासा हुआ है।

अजमेरJan 26, 2022 / 07:47 pm

युगलेश कुमार शर्मा

sting operation : यहां इशारों में मिल जाती है ऐसी दवा

sting operation : यहां इशारों में मिल जाती है ऐसी दवा

युगलेश शर्मा/अमित काकड़ा/जय माखीजा

अजमेर. करीब सात महीने पहले शहर में साढ़े पांच करोड़ की नशीली दवाओं की खेप पकड़ी गई थी। नशीली दवाओं के इस काले कारोबार में शामिल मेडिकल स्टोर संचालक श्याम मूंदड़ा भले ही जेल की सजा भुगत रहा है। लेकिन शहर में कई और मेडिकल स्टोर संचालकों को इसका कतई डर नहीं है। वे आज भी बिना डॉक्टर की पर्ची के प्रतिबंधित दवाइयां थमा रहे हैं। राजस्थान पत्रिका के sting operation में इसका खुलासा हुआ है।
कोई पूछताछ नहीं…

पत्रिका टीम ने कुछ मेडिकल स्टोर पर जाकर मोबाइल में दवा का पर्चा दिखाया तो कोई पूछताछ नहीं की गई। डॉक्टर की पर्ची भी लाने के लिए नहीं कहा। सिर्फ मोबाइल में दवा का नाम देखा और दवा का पूरा पत्ता थमा दिया। इनमें नारकोटिक्स और शेड्यूल एच-1 श्रेणी की दवाइयां शामिल हैं। यह दवाइयां डॉक्टर की अधिकृत पर्ची के बिना बेचा जाना गैर कानूनी है।
थमा दी बेधड़क

डिग्गी चौक पर झूलेलाल मंदिर के पास स्थित एक मेडिकल स्टोर पर मोबाइल में दवा का पत्ता दिखाया गया तो उसने नारकोटिक्स दवा दे दी। यहां पर दवा की कीमत का भुगतान ऑनलाइन किया गया। लेकिन दवा विक्रेता के भुगतान नहीं मिलना बताए जाने पर उसे नकद भुगतान किया गया।
इसी तरह नगरा में बालाजी मंदिर के सामने स्थित एक मेडिकल स्टोर पर मोबाइल में दो तरह की दवा दिखाई गई। दोनों पर ही नारकोटिक्स लिखा हुआ था। मेडिकल स्टोर संचालक ने एक बार तो मना किया लेकिन बाद में दोनों ही दवा देने को तैयार हो गया। यहां भुगतान नकद किया गया।
यह है नुकसान

जवाहरलाल नेहरू अस्पताल के मानसिक रोग विभागाध्यक्ष डॉ. महेन्द्र जैन ने बताया कि नशे की दवाइयों का ज्यादा सेवन करने से व्यक्ति बेचैनी, अनिंद्रा, चिड़चिड़ापन आदि का शिकार हो जाता है। उसे दौरे आने की संभावना भी रहती है। कई बार मरीज को नशा मुक्ति वार्ड में भर्ती भी करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के केस को बेंजोडाइजिपिन डिपेंडेंस (नशे की गोलियों पर निर्भर) कहा जाता है। इस तरह के कई मरीज हमारे पास आते हैं। ऐसे रोगियों के बढऩे का मुख्य कारण यही है कि उन्हें बिना डॉक्टर की पर्ची के दवाइयां आसानी से मिल जाती है।
इनका कहना है

एनआरएक्स (नारकोटिक्स) लिखी दवाइयां बिना डॉक्टर की पर्ची कोई भी दवा विक्रेता बेच नहीं सकता। ऐसा कोई करता है तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

-नरेन्द्र रैगर, सहायक औषधि नियंत्रक

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