कोई पूछताछ नहीं… पत्रिका टीम ने कुछ मेडिकल स्टोर पर जाकर मोबाइल में दवा का पर्चा दिखाया तो कोई पूछताछ नहीं की गई। डॉक्टर की पर्ची भी लाने के लिए नहीं कहा। सिर्फ मोबाइल में दवा का नाम देखा और दवा का पूरा पत्ता थमा दिया। इनमें नारकोटिक्स और शेड्यूल एच-1 श्रेणी की दवाइयां शामिल हैं। यह दवाइयां डॉक्टर की अधिकृत पर्ची के बिना बेचा जाना गैर कानूनी है।
थमा दी बेधड़क डिग्गी चौक पर झूलेलाल मंदिर के पास स्थित एक मेडिकल स्टोर पर मोबाइल में दवा का पत्ता दिखाया गया तो उसने नारकोटिक्स दवा दे दी। यहां पर दवा की कीमत का भुगतान ऑनलाइन किया गया। लेकिन दवा विक्रेता के भुगतान नहीं मिलना बताए जाने पर उसे नकद भुगतान किया गया।
इसी तरह नगरा में बालाजी मंदिर के सामने स्थित एक मेडिकल स्टोर पर मोबाइल में दो तरह की दवा दिखाई गई। दोनों पर ही नारकोटिक्स लिखा हुआ था। मेडिकल स्टोर संचालक ने एक बार तो मना किया लेकिन बाद में दोनों ही दवा देने को तैयार हो गया। यहां भुगतान नकद किया गया।
यह है नुकसान जवाहरलाल नेहरू अस्पताल के मानसिक रोग विभागाध्यक्ष डॉ. महेन्द्र जैन ने बताया कि नशे की दवाइयों का ज्यादा सेवन करने से व्यक्ति बेचैनी, अनिंद्रा, चिड़चिड़ापन आदि का शिकार हो जाता है। उसे दौरे आने की संभावना भी रहती है। कई बार मरीज को नशा मुक्ति वार्ड में भर्ती भी करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के केस को बेंजोडाइजिपिन डिपेंडेंस (नशे की गोलियों पर निर्भर) कहा जाता है। इस तरह के कई मरीज हमारे पास आते हैं। ऐसे रोगियों के बढऩे का मुख्य कारण यही है कि उन्हें बिना डॉक्टर की पर्ची के दवाइयां आसानी से मिल जाती है।
इनका कहना है एनआरएक्स (नारकोटिक्स) लिखी दवाइयां बिना डॉक्टर की पर्ची कोई भी दवा विक्रेता बेच नहीं सकता। ऐसा कोई करता है तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। -नरेन्द्र रैगर, सहायक औषधि नियंत्रक