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अजमेर

बच्चों को जीवन मूल्य भी सिखाएं… कुमार्ग से बचाते हैं वेद- आचार्य ओमप्रकाश

तीन दिवसीय ऋषि मेले का समापन आज
बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ जीवन मूल्यों व आचार-व्यवहार की शिक्षा भी देनी चाहिए। वेदाध्ययन नहीं करने से हमारे विचार अशुद्ध रहते हैं। कुविचार से ही सारे गलत काम हम कर बैठते हैं जिनका फल दु:ख होता है। वेदाध्ययन से हमारे ज्ञान, विचार शुद्ध होने के साथ ही कर्म भी शुभ होने से जीवन सुखमय होता है।

अजमेरNov 18, 2023 / 10:51 pm

Dilip

बच्चों को जीवन मूल्य भी सिखाएं... कुमार्ग से बचाते हैं वेद- आचार्य ओमप्रकाश

बच्चों को जीवन मूल्य भी सिखाएं… कुमार्ग से बचाते हैं वेद- आचार्य ओमप्रकाश

बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ जीवन मूल्यों व आचार-व्यवहार की शिक्षा भी देनी चाहिए। वेदाध्ययन नहीं करने से हमारे विचार अशुद्ध रहते हैं। कुविचार से ही सारे गलत काम हम कर बैठते हैं जिनका फल दु:ख होता है। वेदाध्ययन से हमारे ज्ञान, विचार शुद्ध होने के साथ ही कर्म भी शुभ होने से जीवन सुखमय होता है। जहां सत्य वैदिक ज्ञान का प्रचार होता है वहां के लोग कुमार्गी नहीं होते। यह विचार आचार्य ओमप्रकाश ने पुष्कर रोड स्थित ऋषि उद्यान में चल रहे ऋषि मेले के दूसरे दिन शनिवार को प्रवचन सत्र में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि उत्तम स्वास्थ्य के लिए सृष्टि के नियमों का पालन करना चाहिए। जो सांसारिक भोगों को सृष्टि नियमों के अनुसार सेवन करता है वही सुखी और स्वस्थ रहता है। हमारा खान-पान सात्विक, शयन-जागरण दिनचर्या युक्त होना चाहिए।संस्कृति रक्षा से करें देश का उत्थान
आचार्य सत्यवीर ने कहा कि वीर संस्कृति रक्षा व शक्ति संचय से देश के उत्थान में सहयोग दें। सदाचार ही धर्म है, वैदिक शास्त्रों में सदाचार को धर्म लक्षण बताया गया है। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि शुभ विचार जीवन का उत्थान व निर्माण करते हैं। वेदज्ञान से ही व्यक्ति, समाज व राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति होती है।आर्यवीर-वीरांगनाओं ने दिखाए रोमांचक करतब
ऋषि मेले के दौरान शनिवार को प्रात:कालीन सत्र में आर्यवीर सम्मेलन हुआ। आर्यवीरों ने देशभक्ति ओज व वीरभाव पूर्ण भजन प्रस्तुत किए। आर्यवीर दल के मंत्री राजूराम ने कहा कि वैदिक सात्विक जोश ही युवा की पहचान है। उदयपुर के मनोज पुरोहित ने केलवाड़ा और अन्य कई गांवों में नशामुक्ति कार्यक्रम चलाकर जनजातीय लोगों को नशामुक्त कर वैदिक संस्कृति में लौटाने की जानकारी दी।संध्याकालीन सत्र में आर्य वीरांगनाओं ने तलवारबाजी, आग के गोले से निकलने व जिमनास्टिक का हैरतअंगेज प्रदर्शन किया। आर्यवीर दल के प्रांतीय संचालक भवदेव शास्त्री ने विचार व्यक्त किए। सम्मेलन की अध्यक्षता ज्योत्सना धर्मवीर, संचालन विश्वास पारीक ने किया। कार्यक्रम में जयसिंह भाटी, मनोज पुरोहित, विजय, आचार्य नन्दकिशोर, गगेन्द्र, कमलेश पुरोहित, प्रणव प्रजापति, दिनेश, जितेन्द्र, भागचन्द, मनोहर, राकेश आदि ने उद्बोधन दिए। आर्य वीरांगना दल की संरक्षिका कुमुदिनी आर्य, सरोज मालू, सुलक्षणा शर्मा, स्नेहा कंवर आदि का भी उद्बोधन हुआ।
विजेता प्रतियोगी पुरस्कृतनैतिक शिक्षा प्रतियोगिता में विजेताओं को नकद पुरस्कार व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। इसमें राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय आदर्शनगर, डीएवी शताब्दी स्कूल, डीबीएन रामगंज, ब्लॉसम, न्यू नोबल, सावन, बालाजी रॉयल स्कूल सहित किशनगढ़ की माधव विद्यापीठ-चैनपुरीया, आदर्श विद्या मन्दिर रूपनगढ़ रोड, सुभाष स्कूल आदि के प्रतियोगियों ने शिरकत की थी।
‘संस्मरण’ व कैलेंडर का विमोचन

मध्याह्न कालीन सत्र में डॉ. सुरेन्द्र कुमार की अध्यक्षता व इन्द्र आर्य के संचालन में महर्षि दयानन्द की आर्यावर्तीय व सार्वभौमिक दृष्टि में सामंजस्य विषय पर सम्मेलन हुआ। आचार्य सविता, डॉ. योगानन्द शास्त्री, डॉ. मनु आदि का उद्बोधन हुआ। ‘कर्णवास में महर्षि दयानन्द के ऐतिहासिक संस्मरण पुस्तक तथा ‘दयानन्द चित्र कथा कैलेण्डर का विमोचन परोपकारिणी सभा के संरक्षक सुरेन्द्र कुमार व उप प्रधान कन्हैयालाल, ज्योत्स्ना धर्मवीर ने किया। सायंकालीन सत्र में महर्षि दयानन्द का चिन्तन-प्राचीन या आधनिक ? पर आयोजित सम्मेलन में मुनि सत्यजित, डॉ. वेद प्रकाश, आचार्य विजयपाल के उद्बोधन हुए।
आज के कार्यक्रम

रविवार सुबह 5 से 6.30 तक सूक्ष्म क्रियाएं-आसन-प्राणायाम-ध्यान-सन्ध्या होगी। सुबह 7 से 8.30 तक – अथर्ववेद पारायण यज्ञ, पूर्णाहुति, सुबह 8.35 से 8.55 तक वेद प्रवचन, सुबह 9 से 10 तक प्रात:राश एवं सुबह 10 से दोपहर 12.30 तक भजन होंगे। इसी तरह देर शाम तक कई विषय विशेषज्ञों व वैदिक विद्वानों के प्रवचन होंगे। इसमें सोशल मीडिया में आर्य समाज के प्रवक्ता आचार्य प्रशान्त शर्मा, गौतम खट्टर, मीनाक्षी शेरावत शामिल होंगे। इसके साथ वर्तमान गुरुकुलीय शिक्षा व व्यवस्था की दिशा के वक्ता आचार्य सूर्यादेवी चतुर्वेदा, स्वामी मुक्तानन्द परिव्राजक, स्वामी सत्येन्द्र परिव्राजक, महर्षि दयानन्द द्विजन्म शताब्दी व परोपकारिणी सभा की ओर से व्याख्यान होंगे।

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