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अजमेर

अगर है तीसरी संतान है नि:शक्त, तो इस डिपार्टमेंट में भूल जाएं आप नौकरी

ऐसी संतान की जो पूर्वत्तर प्रसव के पैदा हुई हो और नि:शक्त हो, उसकी गणना नहीं की जाएगी।

अजमेरApr 15, 2018 / 07:49 pm

raktim tiwari

disabled child problem in job

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सी. पी. जोशी/अजमेर।

राज्य सरकार की ओर से निकाली गई भर्ती में नियमों की विसंगति के चलते कई प्रशिक्षित बेरोजगारों के सपने चूर हो सकते हैं। सरकार ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में नर्स ग्रेड द्वितीय एवं शिक्षा विभाग में तृतीय श्रेणी शिक्षकों की भर्ती में जो निरर्हता तय की गई है उसमें ही अंतर है। यह निरर्हता संतान वाले बिन्दु को लेकर हैं। इसमें नि:शक्त संतान की एक में गणना की गई है और एक में नहीं।
प्रदेशभर में हाल राज्य सरकार ने हाल ही चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की नर्स ग्रेड द्वितीय की भर्ती निकाली इसमें तीसरी संतान (नि:शक्त) के मामले को लेकर जो छूट उपलब्ध करवाई गई है वह शिक्षा विभाग की तृतीय श्रेणी भर्ती में अलग है। जब एक ही प्रदेश में भर्ती नियम तय है तो कथित विसंगति शिक्षा विभाग के अभ्यर्थी/आवेदक (माता-पिता) के भविष्य को अंधकार में धकेल सकती है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की भर्ती में यह स्पष्ट किया गया है दो संतान वाले प्रकरण में अगर किसी आवेदक (माता-पिता) की संतानों की कुल संख्या की गणना करते समय ऐसी संतान की जो पूर्वत्तर प्रसव के पैदा हुई हो और नि:शक्त हो, उसकी गणना नहीं की जाएगी। जबकि शिक्षा विभाग की भर्ती में इसका जिक्र तक नहीं है।
शिक्षा विभाग में संतान संबंधी की निहर्तता

राजकीय सेवा में नियुक्ति के लिए ऐसा अभ्यर्थी पात्र नहीं होगा जिसके 1-6-2002 को या इसके बाद दो से अधिक संतानें है, लेकिन दो या अधिक संतान वाले अभ्यर्थी को नियुक्ति के लिए तब तक निरर्हित नहीं समझा जाएगा जब तक कि उसकी संतान की संख्या जो 1 जून 2002 को थी, वृद्धि न हों, लेकिन यह और कि जहां किसी अभ्यर्थी के पूर्व के प्रसव से एक संतान हों किन्तु किसी पश्चातवर्ती एकल प्रसव से एकाधिक संतानें जन्म ले लें तो संतानों की कुल संख्या गिनते समय इस प्रकार जन्मी संतानें एक समझी जाएगी।
चिकित्सा विभाग में नि:शक्त को नहीं माना तीसरी संतान

विभाग ने उक्त शिक्षा विभाग की निरर्हता के साथ इसमें यह जोड़ते हुए नियम बनाया कि किसी आवेदन की संतानों की कुल संख्या की गणना करते समय ऐसी संतान की जो पूर्वत्तर प्रसव पैदा हुई हो और नि:शक्त हो, गणना नहीं की जाएगी।
राज्य सरकार के आदेशानुसार दूसरे विभागों ने जिस तरह नि:शक्त संतान के मामले में इसमें छूट दी है, शिक्षा विभाग की विज्ञप्ति में भी छूट मिलनी चाहिए। विजय सोनी, प्रदेशाध्यक्ष राजस्थान शिक्षक संघ राधाकृष्णन

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