आटा, दाल, तेल,सब्जी,दूध, मसाला, चाय तथा दवा सहित कई खर्चे हैं,लेकिन लॉकडाउन के कामकाज बंद होने से पैसे मिलना बंद हो गया। अजमेर जिले में ऐसे हजारों श्रमिकों के सामने गहरा संकट पैदा हो गया है।
भुखममरी के कगार पर जिले में 40 से 50 हजार मजदूर दिहाड़ी मजदूर तो भुखममरी के कगार पर पहुंच गए हैं। एक-दो दिन तो जैसे-तैसे निकाल गए,लेकिन अब भारी पड़ रहे हैं। इन मजदूरों को पड़ोसी,रिश्तेदार व मित्र भी सहायता दने से कतरा रहे हैं, क्योंकि हर कोई आर्थिक रूप से तंगी है।
अजमेर जिले में ऐसे मजदूरों की संख्या अधिक है जो दिनभर काम करने पर शाम 5 बजे रुपए लेकर घर आ जाते हैं। अमूमन भवन निर्माण कारीगर को 600,पुरुष श्रमिक को 400 व महिला श्रमिक को 300 रुपए दैनिक मजदूरी मिलती है। जिले में करीब 40 से 50 हजार मजदूर भवन व सडक़ निर्माण कार्य से जुड़े हुए हैं। जिला मुख्यालय अजमेर के अलावा ब्यावर, किशनगढ़, केकड़ी, रूपनगढ़, नसीराबाद व पीसांगन क्षेत्र में बिहार,उत्तर प्रदेश,पश् िचम बंगाल व मध्यप्रदेश के कई श्रमिक तो ठेकेदारों के यहां सडक़,भवन व पुल निर्माण में जुटे हैं,लेकिन लॉकडाउन के चलते बेरोजगार हो गए। इसके अलावा शहर के सार्वजनिक चौराहों पर सुबह 9 बजे तक आकर बैठने वाले हजारों मजदूर घरों में कैद है जो गांवों से आते थे।
निर्माण सामग्री का व्यवसाय प्रभावित भवन व सडक़ निर्माण कार्य बंद होने से सीमेंट, सरिया, बजरी, पत्थर, टाइल्स, र्ईंट आौर मार्बल व्यवसाय भी ठप हो गया है। जिले में ईंट भट्टे इन दिनों धुआं नहीं निकाल रहे, क्योंकि उत्पादन बंद हैं। यहां के मजदूर भी ठाले बैठे हैं। भवन निर्माण सामग्री में हर माह करोड़ों रुपए का टर्नऑवर है।
बैठे-बैठे कब तक खाएं! कई मजदूरों के घर राशन सामग्री नहीं बची। जो थोड़े बहुत रुपए तो वह भी खर्च हो गए। ठेकेदार ने कुछ सहायता की, लेकिन अब वह भी मना कर रहा है। ठेकेदार के बिल भी अटके पड़े हैं। कई मजदूरों के घर चूल्हा जलना बंद होने की नौबत आ गई है। छोटे-छोटे बच्चे चाय-दूध के बिना बिलबिला रहे हैं। खाना तो दूर नाश्ता तक नसीब नहीं हो पा रहा।
लॉकडाउन की अवधि लंबी कई ठेकेदारों का कहना है कि लॉकडाउन की अवधि लंबी होने से परेशानी बढ़ गई। अचानक लॉकडाऊन की वजह से सभी निर्माण कार्य ठप पड़े हैं। हजारों श्रमिकों के सामने रोजी रोटी की समस्या खड़ी हो गई है। कई श्रमिक अपने गांव लौटना चाहते ईं, लेकिन उनके पास पर्याप् पैसे नहीं है। सरकार की ओर से दिहाड़ी श्रमिकों के लिए राहत की घोषणा नहीं हुई है। ठेकेदारों ने श्रमिकों को कुछ सहायता राशि दी है,लेकिन इससे अधिक दिनों तक खर्चा चलना संभव नहीं है।