हर वर्ष की तरह की इस साल भी त्रिनेत्र गणेश के दरबार का विशेष शृंगार किया गया। इस बार कोरोना संकट के कारण बाहर से फूल नहीं मंगाए गए। स्थानीय स्तर पर ही भगवान के शृंगार के लिए फूलों का प्रबंध किया गया। मंदिर प्रबंधन की ओर से शृंगार के लिए इस्तेमाल किए गए फूलों को उपयोग में लाने से पहले सेनेटाइज भी किया गया।
गणपति ने पहना मॉस्क
यह सालों में पहला मौका था जब गणेश चतुर्थी के अवसर पर रणथम्भौर के त्रिनेत्र गणेश मंदिर में भगवान गजानन मास्क पहने नजर आए। मंदिर प्रबंधन की ओर से कोरोना काल को देखते हुए त्रिनेत्र के लिए भी मास्क की व्यवस्था की गई। इतना ही नहीं एहतियात के तौर पर मंदिर को सेनेटाइज किया गया।
श्रद्धालुओं को नहीं दिया गया प्रवेश
हर साल गणेश चतुर्थी पर रणथम्भौर दुर्ग स्थित गणेश मंदिर मेंं चार दिवसीय लक्खी मेले का आयोजन किया जाता था, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए प्रशासन की ओर से मेले का आयोजन नहीं किया गया। साथ ही इस बार मंदिर में पहली बार श्रद्धालुओं को प्रवेश नहीं दिया गया। आयोजन के दौरान मंदिर कमेटी से जुड़े लोगों के अलावा प्रशासनिक अधिकारी ही मौजूद थे।
गणेश धाम पर की पूजा-अर्चना
कोरोना संकट के कारण मंदिर में श्रद्धालुओं को प्रवेश नहीं दिया गया। लेकिन आस्था के कारण कोरोना संकट के बीच भी श्रद्धालु त्रिनेत्र के दर्शनों के लिए पहुंचे। ऐसे में प्रशासन व वन विभाग की ओर से गणेश धाम पर ही श्रद्धालुओं के लिए गजानन की पूजा-अर्चना व निशान चढ़ाने की व्यवस्था की गई। ऐसे में बड़ी संख्या में श्रद्धालु गणेश धाम पर ही पूजा अर्चना करते नजर आए।
पुलिस जाप्ता रहा तैनात
सुरक्षा की दृष्टि से प्रशासन की ओर से माकूल प्रबंध किए गए। गणेश धाम से रणथम्भौर दुर्ग और दुर्ग से गणेश मंदिर तक आरएसी के जवान व वन विभाग के कर्मचारी तैनात नजर आए। इतना ही नहीं गण्ेश पोल पर दर्शनों के लिए आने वाले अधिकारियों व अन्य लोगों की एंट्री की गई और स्क्रीनिंग के बाद ही लोगों को प्रवेश दिया गया।
हर वर्ष उमड़ता था रैला
हर वर्ष गणेश चतुर्थी पर त्रिनेत्र के दर्शनों के लिए दूर-दूर से श्रद्धालुओं की भीड़ आती थी। जानकारी के अनुसार हर साल तीन लाख से अधिक श्रद्धालु त्रिनेत्र के दर्शनों के लिए आते थे, लेकिन इस बार कोरोना के कारण श्रद्धालुओं को प्रवेश नहीं दिया गया। ऐसे में इस बारा गणेश मार्ग पर सूनापन ही नजर आया।