बीते साल 7 सितंबर को एसीबी ने रामपाल सिंह (बर्खास्त कुलपति), दलाल रणजीत सिंह और निजी कॉलेज प्रतिनिधि महिपाल को 2.20 लाख रुपए के साथ गिरफ्तार किया था। एसीबी को विश्वविद्यालय में कॉलेज की सम्बद्धता, सीट बढ़ोतरी और परीक्षा केंद्र गठन में लेन-देन के इनपुट मिल रहे थे। इंटेलीजेंस टीम बेहद गोपनीय ढंग से पड़ताल में जुटी थी। एफआईआर में विश्वविद्यालय के कर्मचारी रवि जोशी का नाम भी शामिल था। एसीबी के पास मौजूद मोबाइल रिकॉर्डिंग में इसके प्रमाण भी हैं।
यूं होती थी डील…..
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के घूसकांड में रामपाल, उशका दलाल रणजीत और उनके नेटवर्क में शामिल लोग बेखौफ होकर कॉलेज संचालकों से डील कर रहे थे। 15-20 हजार से लाखों रुपए की डील मोबाइल पर फिक्स होती थी।
1 जुलाई 2020 को 4.01:12 बजे रणजीत सिंह के मोबाइल नंबर (7599347117) से राजेंद्र चौधरी के मोबाइल (9829084423) पर बातचीत हुई। इसमें राजेंद्र कहता है….पहले चार-पांच कॉलेज का पैसा एक लाख रुपए दिया था, जो कम ही नहीं किया। इस पर रणजीत कहता है…रजिस्ट्रार पैनल और सीट का एक लाख रुपए मांग रहा है, वो सब काम करा देगा। मैं दो फाइल का पैसा दे भी आया उसको….सर तो परमानेंट एफिलेशन देंगे…..।
निजी कॉलेज संचालकों की पत्रावलियां दूध देने वाली गाय बन चुकी थीं। एक जगह बातचीत में राजेंद्र कहता है..भय होना चाहिए…टेरर तो होना ही चाहिए….। रणजीत कहता है..आप जैसा कह रहे हो, वैसा कर लेंगे….। रणजीत कहता है…नहीं चौहान से नहीं अपने ने एक नया आदमी अॅपाइंट कर लिया है..रवि जोशी, उसते बात करवा देता हूं। तत्पश्चात कॉलेज का नाम बताता है, जिसकी फाइल प्राप्त हो चुकी है।