जिला कलक्टर एंव स्मार्ट सिटी के सीईओ प्रकाश राजपुरोहित के समक्ष राजस्थान पत्रिका ने करीब एक माह पूर्व जब उपेक्षित विवेकाननद स्मारक का मामला उठाया तो उन्होनें इसे गंभीरता से लेते हुए स्मार्ट सिटी अभियंताओं को इसके लिए कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए थे।
यह रहेगा आकर्षण पार्क पर विभिन्न पाथ वे का निर्माण किया जाएगा। प्रमुख रूप से इन्टर लॉकिंग टाइल्स, कोबल स्टोन ओर फ्लोरिंग का कार्य किया जाएगा। विभिन्न प्रकार की मिट्टी के माउंडस का कार्य किया जाएगा। यहां आने वाले लोगों के बैठने के लिए बैंच लगाई जाएंगी। आरसीसी की मचान,गजीबो, गुमटी निर्माण आदि के कार्य किया जाऐंगे। उपजाऊ मिट्टी के भराई के बाद गार्डन विकसित करने का कार्य किया जाएगा। इसी प्रकार विभिन्न प्रकार के प्लांटर का निर्माण किया जाना है। स्मारक पर फ्लड लाइट, डेकोरेटिव पोल, छोटी लाइट लगाई जाएगी। यहां केफेटेरिया, वॉकिंग ट्रेल, व्यू पाइन्ट के साथ, लैन्ड स्केपिंग,वृक्षारोपरण एवं अन्य सुविधाओं के कार्य किए जाने प्रस्तावित हैं। लैंड स्केपिंग एवं वृक्षारोपण यहां आने वाले लोगों को अपनी ओर आकर्षित करेंगे। स्मारक के अन्दर हरियाली होगी। सुबह.शाम सैर करने वाले स्थानीय लोग अपने आपको प्रकृति के करीब पाएंगे।
आसामाजिक तत्तों का लगा रहता है जमावड़ा पूर्व में अजमेर प्राधिकरण ने स्मारक के लिए जगह चिन्हित करते हुए यहां सडक़ व चारदीवारी का निर्माण किया था लेकिन न तो विवेकानन्द की मूर्ति ही लगी और ना ही अन्य कोई विकास कार्य हुआ। असामाजिक तत्वों का इस अधूरे स्माकर पर जमावड़ा लगा रहता है। इधर-उधर शराब की बोतलें फैली रहती हैं। झुग्गी बस्ती के लोग यहां शौच भी करते हैं। स्थानीय लोग कई बार इसकी शिकायत भी दर्ज करवा चुके हैं।
एक साथ स्वीकृत हुए थे चार स्मारक एडीए ने वर्षो पहले दाहरसेन स्मारक, झलकारी बाई स्मारक, महाराणा प्रताप स्मारक तथा विवेकानन्द स्मारक बनाए जाने को मंजूरी थी। दाहरसेन स्मारक व झलकारीबाई स्मारक को बनाने में जनप्रतिनिधियों ने रूचि ली तो यह जल्दी ही बन गए। महाराणा प्रताप स्मारक दो-तीन वर्ष पूर्व बन कर तैयार हुआ है लेकिन विवेकानन्द स्मारक अभी भी उपेक्षित है था। इसके विकास के लिए कई बार योजनाएं बनाई गई लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ा।