जिला मुख्यालय पर आज भी 48 से 72 घंटों में आपूर्ति हो रही है तो जिले के ग्रामीण क्षेत्र में बीसलपुर का पानी चार दिनों में सप्लाई हो रहा है। पिछले पांच सालों में विकास ने तो रफ्तार पकड़ी मगर ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के साधन नहीं बढ़े।
अजमेर में औद्योगिक क्षेत्र के नाम पर सिर्फ किशनगढ़ का मार्बल उद्योग है। यहां भी टैक्स के चलते मार्बल व्यवसाय पर बुरा असर पड़ा है। उधर, टाइल्स की मार से मार्बल व्यवसाय पर बुरा असर पड़ा है। किशनगढ़, नसीराबाद, मसूदा सहित ग्रामीण क्षेत्र के किसानों की फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं हो रही है, गुणवत्ता के नाम पर अधिकांश उत्पादन का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है।
सबसे बड़ी चुनौती मेरवाड़ा (अजमेर जिले) में सबसे बड़ी चुनौती पेयजल की है। नियमित पेयजल के लिए करोड़ों की राशि मंजूरी के बावजूद यब सपना पूरा नहीं हो पाया है। अजमेर शहर की जनता बरसों से इसका इंतजार रही है। ग्रामीण क्षेत्र में एकांतरे सप्लाई कुछ जगह ही हो पा रही है। इसके साथ दूसरी सबसे बड़ी चुनौती है कि जिले में एक भी विधानसभा क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां सिंचाई के लिए कोई नहरी क्षेत्र हो। कृषि योग्य भूमि होने के बावजूद सिंचित बहुत कम है।
सरकार बनाने में रही मेरवाड़ा की अहम् भूमिका सरकार गठन में मेरवाड़ा की भूमिका अहम् रही है। वर्ष 2013 में सरकार बनाने में मेरवाड़ा ने आठों की आठों सीटें जिताकर दी। हालांकि नसीराबाद विधानसभा उप चुनाव में कांग्रेस के रामनारायण गुर्जर ने वापस सीट भाजपा से छीन ली। अगर लोकसभा उपचुनाव की बात करें तो कांग्रेस ने भाजपा को चारों खाने चित्त कर फिजां बदल दी।