निकटवर्ती ग्राम ऊंटड़ा में किशनगढ़ के काली डूंगरी से पानी की सप्लाई होती है, लेकिन स्थिति यह है कि अवैध कनेक्शनों की भरमार एवं अन्य कारणों के चलते पानी गांव तक पहुंच ही नहीं पाता है। गांव में बनी सार्वजनिक टंकी और नल सूखे पड़े हैं। गांव में 13 के करीब हैडपंप हैं। इसमें से तीन-चार का लवण युक्त पानी है और मात्र दो हैंडपंप में पीने योग्य पानी है। इसके कारण दिनभर हैंडपंप पर महिलाओं की भीड़ लगी रहती है। ग्रामीणों को निजी नलकूप और टैंकरों का सहारा लेना पड़ता है। इससे स्थिति विकट होती जा रही है। हैंडपंप पर पानी भरने की बात को लेकर कहासुनी होना आमबात है। हैंडपंप पर भीड़ लगी रहने के कारण समय भी खराब होता है। इससे ग्रामीणों में रोष व्याप्त है।
ग्रामीणों ने कराया था विरोध दर्ज
गांव में करीब 2-3 साल पहले गांव में शिविर का आयोजन किया गया। इसमें विधायक सुरेश रावत भी आए। ग्रामीणों ने विधायक को भी समस्या से अवगत कराकर विरोध दर्ज कराया था। इस पर जलदाय विभाग के अधिकारियों ने समस्या के समाधान का आश्वासन दिया। इसके बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है।
गांव में करीब 2-3 साल पहले गांव में शिविर का आयोजन किया गया। इसमें विधायक सुरेश रावत भी आए। ग्रामीणों ने विधायक को भी समस्या से अवगत कराकर विरोध दर्ज कराया था। इस पर जलदाय विभाग के अधिकारियों ने समस्या के समाधान का आश्वासन दिया। इसके बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है।
‘नहीं होती सुनवाई’ गांव में कालीडूंगरी से पानी की सप्लाई होती है, लेकिन अवैध कनेक्शनों की भरमार के कारण पानी पहुंच ही नहीं पाता है। इसके कारण पिछले छह साल से सार्वजनिक नल में पानी की बूंद तक नहीं टपकी है। विधायक को समस्या से अवगत कराया, लेकिन समाधान नहीं हुआ।
– दिलबाग खान, ग्रामीण गांव में पानी की किल्लत है। गांव में 400 रुपए में एक टैंकर पानी आता है। महीने में तीन से चार टैंकर की जरूरत होती है। ऐसे में एक हजार से अधिक रूपए खर्च होते है। जनप्रतिनिधियों से भी शिकायत की, लेकिन सुनवाई नहीं होती है।
– रईसा बेगम, ग्रामीण