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अजमेर

Tradition: मंदिरों में मंत्रोच्चार से हुई सहस्रधारा, नाचते-गाते निकले कावडि़ए

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अजमेरAug 19, 2018 / 05:54 am

raktim tiwari

lord shiva worship

lord shiva worship

अजमेर.

शिवालयों में भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना का दौर जारी है। शहर में सोमवार को विभिन्न क्षेत्रों में गाजे-बाजे के साथ कावड़ यात्रा निकाली गई। मंदिरों में मंत्रोच्चार से रुद्राभिषेक, जलाभिषेक और पूजन हुआ।
शहर के मेहन्दीपुर बालजी कोटड़ा धाम पुष्कर रोड पर महारुद्राभिषेक महोत्सव हुआ। भगवान शिव का गन्ने के रस और जल से अभिषेक किया गया गया।
शिव परिवार और सालासर बालाजी की झांकी सजाई गई। आरती का आयोजन हुआ। इसी तरह रामनगर-फायसागर रोड आयुर्वेद रसायनशाला के निकट स्थित मंदिर में सहस्रधारा हुई। रामगंज, केसरगंज, बिहारी गंज, नया बाजार, आंतेड़, आगरा गेट, वैशाली, झरनेश्वर, कोटेश्वर महादेव मंदिर, मदार गेट, नगर, कोटड़ा, आदर्श नगर और अन्य शिवालयों में लोगों ने बिल्व पत्र, पुष्प, हल्दी-चंदन, दूब, दूध और अन्य सामग्री से पूजा-अर्चना की।
शिवालयों में सहस्रधारा के बाद भोलेनाथ, गणेश, पार्वती, कार्तिकेय और नंदी का दूब, गुलाब के पुष्प, फलों, ड्राइ फ्रूट और अन्य सामग्री से विशेष श्रंगार किया गया। महाआरती के बाद प्रसाद वितरण हुआ।

गाजे-बाजे से निकली कावड़ यात्रा
सुबह से ही कावड़ यात्रा का दौर शुरू हो गया। कावडि़ए डीजे की धुनों और ढोल-ढमामों पर नाचते-गाते पुष्कर सरोवर और अन्य जलाशयों से जल लेकर निकले। उन्होंने विभिन्न शिवालयों में अभिषेक किया। कावड़ यात्रा का शहरवासियों ने जगह-जगह गुलाब के फूल बरसा कर स्वागत किया।
सावन का अंतिम सोमवार

परम्परानुसार सावन का तीसरा सोमवार 20 अगस्त को होगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार व्रत रखने वाली महिलाएं-बालिकाएं सुभाष उद्यान अथवा अन्य स्थानों पर जाकर भोजन करेंगी। मालूम हो कि सावन माह की समाप्ति रक्षाबंधन यानि 26 अगस्त को होगी।
टिका है लाखों अभ्यर्थियों का भविष्य

राजस्थान लोक सेवा आयोग आरएएस प्रारंभिक परीक्षा-2018 की ओएमआर और उत्तर कुंजियों पर मिली आपत्तियों की जांच में जुटा है। विशेषज्ञों की राय पर आपत्तियों का निस्तारण होगा। इसके बाद परिणाम जारी किया जाएगा।
आयोग ने 5 अगस्त को आरएएस प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन किया था। परीक्षा के लिए प्रदेश में 4 लाख 97 हजार 048 अभ्यर्थी पंजीकृत थे। 1 आयोग ने उत्तरकुंजियों पर 15 अगस्त तक ऑनलाइन आपत्तियां मांगी थी।

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