नसीरुद्दीन ने कहा था- एएमयू का कर्ज नहीं उतार पाऊंगा नसीरुद्दीन शाह फिल्मी दुनिया में मुकाम बनाने के बाद भी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को भूले नहीं। उनके बड़े भाई जमीरुद्दीन शाह एएमयू में कुलपति रहे। इस दौरान नसीरुद्दीन शाह का एएमयू में आना-जाना लगा था। 2015 के एलुमनी मीट में नसीरुद्दीन शाह एएमयू आए थे। उन्होंने कहा कि अलीगढ़ का जो कर्ज है वह जिंदगी भर नहीं उतार पाऊंगा और जो अलीगढ़ से मैंने हासिल किया है वह ताजिंदगी मेरे साथ रहेगा।
तीन साल सक्रिय रहे नसीरुद्दीन शाह ने सन् 1967 से 1970 तक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की थी। उस समय यहां के ड्रामा क्लब में नसीरुद्दीन शाह बढ़ चढ़कर भाग लेते थे। वह हिन्दी , उर्दू के साथ वेस्टर्न ड्रामा क्लब को भी पसंद करते थे। उन्होंने एएमयू में ड्रामा क्लब को सक्रिय करने की बात कहीं । नसीरुद्दीन शाह ने उस समय कहा था कि एएमयू में अब ड्रामा जैसे कार्यक्रम ज्यादा नहीं हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि थिएटर या ड्रामा का मतलब है इंसानों का इंसानों से बात करना ।
नहीं मालूम था एक्टर कैसे बना जाता है उन्होंने कहा था कि अगर एएमयू में थिएटर और ड्रामा फिर से शुरू होता है तो मैं छात्रों को खुद सिखाने आऊंगा। उन्होंने कहा कि मैं 17 साल का था तब एक्टर बनना चाहता था लेकिन यह नहीं मालूम था कि एक्टर कैसे बना जाता है। इंजीनियर, डॉक्टर या फौज में जाना हो तो उसके लिए एक रास्ता बना हुआ है। उन्होंने कहा कि थियेटर या ड्रामा कम हो सकता है, लेकिन खत्म नहीं हो सकता।
हर भूमिका निभाई दूरदर्शन पर मिर्जा गालिब के किरदार के लिए गुलजार ने नसीरुद्दीन शाह को चुना। गालिब की भूमिका उन्होंने बखूबी निभाई। चेहरे पर हर किरदार के भावों को उकेर कर रख देते थे। फिल्म ए वेडनेस डे में उनका कॉमन मैन का किरदार भुलाया नहीं जा सकता है। विलेन हो या कॉमिक का किरदार, बखूबी निभाते हैं। जाने भी दो यारों कामिक क्लासिकल मूवी ने हर किसी को गुदगुदाया होगा। इकबाल फिल्म में उनके किरदार को बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल अवार्ड मिला। सरफरोश में अपने निगेटिव शेड्स में काम कर पहचान बनाई। अपने अभियन की गहरी छाप छोड़ चुके नसीरु्द्दीन शाह को पद्म भूषण से नवाजा जा चुका है।