इस मौके पर ओप्थाल्मोलोजी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर सैयद नासिर असकरी ने उनके विभाग द्वारा ओपीडी में उपलब्ध करायी जा रही सुविधाओं के बारे में बताया। लो विजन ऐड क्लीनिक के इंचार्ज डाॅक्टर अब्दुल वारिस ने बताया कि यह क्लीनिक उन लोगों के लिए वरदान साबित होगा जो किन्हीं कारणों से लगभग दिव्यांग हो चुके हैं और उनकी आंखों में बहुत ही कम ज्योति शेष रह गई है। उन्होंने कहा कि इसमें जन्मजात दिव्यांग बच्चों का भी इलाज होगा। डाॅ. वारिस ने बताया कि अमरीका की एक गैर सरकारी संस्था ने गरीब मरीजों को गैजेट्स व विशेष प्रकार के चश्में उपलब्ध कराने के लिए सहायता का आश्वासन दिया है। डाॅ. अब्दुल वारिस ने बताया कि उत्तर भारत के किसी सरकारी मेडिकल काॅलेज में यह क्लीनिक अपने में पहला क्लीनिक होगा जहां अल्प दृष्टि के लोगों को यह सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
वहीं प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि एएमयू के इंस्टीटयूट आॅफ ओप्थाल्मोलोजी का इतिहास जेएन मेडिकल काॅलेज से भी पुराना है और इसकी गणना देश के प्रतिष्ठित नेत्र चिकित्सा संस्थानों में होती है। उन्होंने कहा कि लो विजन ऐड क्लीनिक के प्रारंभ होने से उन लोगों को बहुत लाभ होगा जो अत्यधिक अल्प दृष्टि के चलते निराशा का जीवन व्यतीत कर रहे हैं। कुलपति ने कहा कि उनका यह हमेशा प्रयास रहा है कि जेएन मेडिकल काॅलेज में रोगियों को सस्ती व उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो। प्रो. मंसूर ने आशा व्यक्त की कि नेत्र चिकित्सा संस्था अन्य क्षेत्रों में भी विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराएगा।
मेडिसन संकाय के डीन एवं प्रिंसिपल प्रोफेसर एससी शर्मा ने कहा कि हाल में नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांतिकारी शोध कार्य हुए हैं और यह गौरव का विषय है कि जेएन मेडिकल काॅलेज का नेत्र चिकित्सा संस्थान रोगियों को अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करा रहा है। उन्होंने लो विजन ऐड क्लीनिक प्रारंभ करने पर विभाग को बधाई दी।
इस अवसर पर मेडिकल सुप्रीटेंडेंट प्रो. हारिस एम खाॅन, प्रो. आर माहेश्वरी, प्रो. आरआर सुकुल, प्रो. शमीम अहमद, प्रो. योगेश गुप्ता, प्रो. अदीबा आलम खाॅन व डाॅ. जिया सिद्दीकी आदि भी मौजूद थे।