Key To Success अच्छा फोटोग्राफर बनने के लिए कैमरे से बात कीजिएः मनोज अलीगढ़ी
-फोटो खींचने के लिए पूरे देश में यायावर की तरह घूमते हैं
-बिहार, नेपाल, उत्तराखंड, कश्मीर जाकर कर चुके हैं फोटोग्राफी
-सेना आधारित फोटो प्रदर्शनी को मिली है सराहना
-असहायों की आवाज को तस्वीरों के माध्यम से ऊपर तक पहुंचाना लक्ष्य
-मेहनत करने से सफलता जरूर मिलती, वक्त लग सकता है
अलीगढ़। पत्रिका के विशेष कार्यक्रम की टु सक्सेस (Key To Success) में हम आपको ऐसी हस्तियों से मिलवाते हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत के बल पर मुकाम हासिल किया है। उन्होंने एक लक्ष्य बनाया और उसे प्राप्त करके ही माने। कठिनाइयों की परवाह नहीं की। ऐसी ही शख्सियत हैं मनोज अलीगढ़ी (Manoj Aligarhi )। वे पेशे से फोटो जर्नलिस्ट (Photo journalist) हैं। 20 साल पहले फोटोग्राफी (Photography) शुरू की। तमाम अखबारों के बाद अब वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों के लिए काम कर रहे हैं। इससे इतर बात यह है कि वे फोटोग्राफर (Photographer) रघुराय (Raghurai) की तर्ज पर काम कर रहे हैं। पूरे देश में यायावर की तरह घूमते हैं। देश के किसी भी क्षेत्र में बड़ी घटना हो जाए तो कैमरा (Camera) लेकर चल पड़ते हैं। उन्हें इससे मतलब नहीं है कि फोटो कोई छापेगा या नहीं। मनोज अलीगढ़ी अपने कैमरे से बात भी करते हैं। बकौल मनोज अलीगढ़ी- मुझे कैमरा बताता है कि कौन सी फोटो खींचनी है। हमने मनोज अलीगढ़ी से फोटोग्राफी को लेकर लम्बी बातचीत की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश-
पत्रिकाः आपन फोटोग्राफी कब शुरू की? मनोज अलीगढ़ी: 28 अक्टूबर, 1999 में पहली फोटो राष्ट्रीय समाचार पत्र में प्रकाशित हुई थी। इस तरह करीब दो दशक हो गए हैं। पत्रिकाः दो दशक में फोटोग्राफी से क्या पाया?
मनोज अलीगढ़ी: बहुत कुछ पाया है। असहाय और बेजुबान लोगों की बात को अपनी तस्वीरों के माध्यम से प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों तक पहुंचाया है। पत्रिकाः सभी फोटोग्राफर्स का प्रिय विषय होता है, आपका क्या है?
मनोज अलीगढ़ी: समाज मेरा प्रिय विषय है। समाज के निचले तबके की बात ऊपर तक नहीं पहुंच पाती है। मैं अपने तस्वीरों के माध्यम से उनकी बात पहुंचाता हूं। गूंगे बनकर कहना सीखो बहरे बनकर सुनना, बिन पंखों के उड़ना सीखो और दीपक सा जलना। मैं अपनी तस्वीरों के माध्यम से यही बात कहता हूं।
पत्रिकाः प्रेस फोटोग्राफर नौकरी करते हैं, आपने क्या किया है? मनोज अलीगढ़ी: मैंने नौकरी ट्रेनिंग सेंटर के रूप में की है। अगर मेरे जीवन का उद्देश्य नौकरी होता तो एक अखबार में काम करता। 20 साल में मैंने भारत के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों के साथ काम किया है। 101 अखबारों में बायलाइन फोटो प्रकाशित हो चुके हैं।
पत्रिकाः फ्रीलांस के रूप में देश में कहां-कहां फोटोग्राफी की? मनोज अलीगढ़ी: 2008 में कोसी (बिहार) की बाढ़, नेपाल में भूकम्प, उत्तराखंड की त्रासदी, महाकुंभ, जम्मू एवं कश्मीर में सीआरपीएफ जवानों के लिए फोटोग्राफी की। 2019 में बिहार की बाढ़ को फिर कवर किया। दुर्गम इलाकों में जाकर काम किया। लीक से हटकर फोटोग्राफी करता हूं। अपने फोटोग्राफ्स की प्रदर्शनी भी लगाता हूं।
पत्रिकाः डिजिटल मीडिया के युग में फोटोग्राफर का महत्व समाप्त हो रहा है, आप क्या कहते हैं? मनोज अलीगढ़ी: ऐसी बात नहीं है। फोटोग्राफर का महत्व खत्म नहीं हुआ है। बड़ी बात होती है या क्वालिटी का काम चाहिए तो कैमरा चाहिए। जहां मोबाइल की सीमा समाप्त हो जाती है, वहां एसएलआर कैमरा काम करते हैं।
पत्रिकाः आपकी प्रेरणा का स्रोत कौन है? मनोज अलीगढ़ी: रघुराय साहब को मैंने प्रेरक माना है। मेरे बड़े भाई ने पत्रकारिता में प्रवेश कराया। पत्रिकाः 20 साल में फोटोग्राफी से क्या मिला?
मनोज अलीगढ़ी: फोटोग्राफी मुझमें रची बसी है। मुझसे कोई कहे कि फोटोग्राफी बंद कर दो तो मैं विकलांग हो जाऊंगा। ये मेरी ऊर्जा, मेरी सांस, मेरी धड़कन है। मैं आपको बता दूं कि कैमरा जब मेरे हाथ में होता है तो बात करता है। आश्चर्य की बात है यह। जब हम किसी से प्रेम करते हैं तो खूब बात करते हैं। कैमरा बताता है कि ये फोटो अच्छा है, यहां से फोटो लो। कैमरा हाथ में आते ही मेरे दिमाग से कनेक्ट हो जाता है।
पत्रिकाः क्या यह असंभव बात नहीं कह रहे हैं? मनोज अलीगढ़ी: यह बिलकुल असंभव नहीं है। मैं प्रूव कर सकता हूं। पत्रिकाः आपने किस-किस वीआईपी के साथ फोटोग्राफी की है। मनोज अलीगढ़ी: भारत के जितने भी बड़े राजनीतिज्ञ हैं, नरेन्द्र मोदी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मनमोहन सिंह, राजनाथ सिंह, नजीब जंग, तमाम राज्यपाल के साथ फोटोग्राफी की है। मिसाइलमैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से तीन बार मिलने का अवसर मिला है। उनसे बड़ी प्रेरणा मिली।
पत्रिकाः आपकी सफलता का रहस्य क्या है मनोज अलीगढ़ी: सभी ने कहा कि सफलता की कुंजी शॉर्टकट नहीं है। जितनी मेहनत करेंगे, सफल होंगे, हां वक्त लग सकता है। जरूरी नहीं है कि सफलता धन के रूप में मिले, मान-सम्मान भी मिलता है। लोग मुझसे प्रेम करते हैं, यह मेरी सफलता है।
पत्रिकाः सोशल मीडिया के सक्रिय होने के बाद मीडिया के प्रति सम्मान और विश्वास का भाव कम हो रहा है, आप क्या कहते हैं मनोज अलीगढ़ी: जैसे भगवान शिव ने विश्व कल्याण के लिए विषपान किया था, उसी तरह से मीडिया और प्रेस फोटोग्राफी का काम है। आज का समय मीडिया के लिए सेंसिटिव समय है। सोशल मीडिया पर लगातार फोटो और समचारों की बारिश हो रही है। हमें सच-सच चीजें दिखानी होंगी, ताकि विश्वास बना रहे।
पत्रिकाः जो लोग फोटोग्राफर बनना चाहते हैं, उनके लिए कोई संदेश? मनोज अलीगढ़ी: नए साथियों का स्वागत है। उन्हें आना चाहिए। जिस तरह से मोबाइल ने कैमरे की जगह ली है, उससे कैमरा पीछे जा रहा है। अगर हमें आगे बढ़ना है तो इन्नोवेशन करना होगा। लकीर के फकीर न बनें।
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