scriptक्या कानून सामाजिक परिवर्तन का माध्यम है, पढ़िए पूर्व CJI केजी बालकृष्णन क्या कहते हैं | kg balakrishnan Lecture in AMU Law is medium for social change | Patrika News
अलीगढ़

क्या कानून सामाजिक परिवर्तन का माध्यम है, पढ़िए पूर्व CJI केजी बालकृष्णन क्या कहते हैं

-भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश kg balakrishnan का एएमयू में व्याख्यान
-मिड डे मील अनिवार्य किए जाने के बाद स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ी
-कानून को सही तौर पर लागू करें तो देश में सामाजिक परिवर्तन संभव

अलीगढ़Sep 06, 2019 / 09:51 am

suchita mishra

kg balakrishnan

kg balakrishnan

अलीगढ़ । अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विधि संकाय द्वारा भारत के भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश एवं मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष न्यायमूर्ति केजी बालाकृष्णन द्वारा ‘‘कानून सामाजिक परिवर्तन का माध्यम है’’ विषय पर एक व्याख्यान दिया गया। भूतपूर्व मुख्य न्याधीश केजी बालाकृष्णन ने कहा कि संविधान के नीति निर्देशक सिद्धांत सामाजिक परिवर्तन का मुख्य आधार हैं। इसी की रोशनी में भारत में सामाजिक न्याय और परिवर्तन का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा बहुत से निर्णयों में सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को आगे बढ़ाने का कार्य किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 21 को उच्चतम न्यायलय ने इस प्रकार परिभाषित किया है कि भारत में सामाजिक परिवर्तन का रास्ता साफ हो गया है।

kg balakrishnan
अधिवक्ता सामाजिक परिवर्तन की दिशा में काम करें

मुख्य अतिथि ने मिड डे मील योजना का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत सरकार द्वारा इस स्कीम को शुरू करने से पहले छात्रों का ड्राप-आउट 68 प्रतिशत था परन्तु स्कीम के लागू होने के बाद इसमें भारी कमी आ गई है। उन्होंने कहा कि राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांन्त अति महत्वपूर्ण हैं। उन्हें मूलभूत अधिकारों से कम नहीं समझना चाहिए। न्यायमूर्ति बालकृष्णन ने आगे कहा कि यदि कानून को सही तौर पर लागू किया जाए तो देश में सामाजिक परिवर्तन लाया जा सकता है। उन्होंने इस बात पर हर्ष व्यक्त किया कि शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार बना दिया गया है। उन्होंने कहा कि न्यायविदों के अतिरिक्त अधिवक्ताओं की भी जिम्मेदारी है कि वो सामाजिक परिवर्तन की दिशा में काम करें।
kg balakrishnan
शिक्षा से आता है सामाजिक न्याय

सर सैयद अहमद खान के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि 1877 मे सर सैयद ने जो कॉलेज स्थापित किया था वो आज विश्वविद्यालय बन चुका है। जहाँ से हजारों छात्र व छात्राएं तालीम हासिल कर रहे हैं। इस संस्था की महत्ता से इन्कार नहीं किया जा सकता, क्योंकि शिक्षा ही ऐसा हथियार है जिसके द्वारा सामाजिक न्याय लाया जा सकता है। उन्होंने फैकल्टी के अधिष्ठाता प्रो. शकील समदानी द्वारा एक लेक्चर आयोजित करने का आभार व्यक्त किया।
kg balakrishnan
नसीहतों पर अमल करें छात्रः प्रो. शकील समदानी

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ला फैकल्टी के डीन प्रो. शकील समदानी ने कहा कि फैकल्टी के लिए सौभाग्य की बात है कि जस्टिस बालाकृष्णन ने छात्र व छात्राओं को संबोधित किया और उन्हें कानून के साथ साथ सामाजिक कार्यों के लिए प्रेरित किया। उन्होंने जस्टिस बालकृष्णन ने अपने निर्णयों के द्वारा करोड़ों लोगों की परेशानियों को दूर किया। विशेषकर मिड डे मील को अनिवार्य करके और सरकार द्वारा आयोजित हड़ताल को गैरकानूनी करार देकर इतिहास में अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज कर लिया है। प्रो. समदानी ने कहा कि जिस प्रकार से मुख्य अतिथि ने देश में अपना नाम कमाया और दुनिया के सबसे बड़े लोकतन्त्र के मुख्य न्यायधीश बने, वो छात्रों के लिए एक उदाहरण हैं। उन्होंने छात्र व छात्राओं का आह्वान किया कि वह जस्टिस बालकृष्णन द्वारा दी गई नसीहतों पर अमल करें।
पुस्तक का विमोचन

सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट शारिक अब्बासी ने मुख्य अतिथि का विस्तार पूर्वक परिचय कराया। बताया कि उन्होंने किस प्रकार अपने निर्णयों द्वारा देश सेवा की है। इस अवसर पर प्रो. जफर महफूज नौमानी द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘‘इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टी राइट एण्ड पब्लिक पोलिसी’’ का विमोचन भी मुख्य अतिथि द्वारा किया गया। इस पुस्तक का प्राक्कथन पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केजी बालाकृष्णन ने लिखा है। कार्यक्रम का संचालन अदनान जैदी ने किया। धन्यवाद प्रस्ताव विधि विभाग के अध्यक्ष प्रो. जावेद तालिब ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में शिक्षक एवं छात्र व छात्राएं उपस्थित थे। मुख्य अतिथि एवं शारिक अब्बासी का स्मृति चिह्न और शाल ओढ़ाकर सम्मान किया गया।

Home / Aligarh / क्या कानून सामाजिक परिवर्तन का माध्यम है, पढ़िए पूर्व CJI केजी बालकृष्णन क्या कहते हैं

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो