scriptसर सैयद के शहर से उर्दू हो रही गायब, एएमयू चिंतित | seminar held on Urdu language in Aligarh Muslim University | Patrika News
अलीगढ़

सर सैयद के शहर से उर्दू हो रही गायब, एएमयू चिंतित

प्रोफेसर अबु सुफियान ने कहा कि उर्दू भाषा का प्रयोग अलीगढ़ की संस्कृति का महत्वपूर्ण पहलू है।

अलीगढ़Dec 28, 2017 / 02:46 pm

मुकेश कुमार

AMU
अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कलचरल एजूकेशन सेंटर (सीईसी) के डिबेटिंग एंड लिटरेरी क्लब के क्रिएटिव डिस्कशन फोरम द्वारा एक परिचर्चा ‘सर सैयद के नगर में सांस्कृति मूल्यों का पतन’ विषय पर आयोजित की गयी। जिसमें अध्यापकों व छात्रों ने अपने विचार व्यक्त किये।

उर्दू पैदा करती है आत्मविश्वास
क्रिएटिव डिस्कशन फोरम के संस्थापक सदस्य प्रोफेसर अब्दुल मतीन ने कहा कि अलीग बिरादरी द्वारा जीवित परम्पराओं एवं मूल्यों पर अमल किया जाता रहा है। जिससे एएमयू के छात्रों तथा अध्यापकों में एक विशेष रूचि उत्पन्न होती है। उन्होंने कहा कि जैसे जैसे लोग पैसे तथा कैरियर की ओर अधिक रूझान करने लगे उससे संस्कृति का पतन प्रारम्भ हो गया। उन्होंने कहा कि उर्दू भाषा लोगों की दैनिक बातचीत से धीरे धीरे समाप्त हो रही है। हालांकि उर्दू भाषा बोलने वाले के अन्दर एक प्रकार का आत्मविश्वास पैदा करती है।

सर सैयद ने किया परम्पराओं का विरोध
उर्दू विभाग के प्रोफेसर तारिक छतारी ने कहा कि सर सैयद परम्पराओं को तोड़ने वाले व्यक्ति थे। जिन्होंने परम्परा के नाम पर अन्धविश्वास को भी प्रोत्साहित नहीं किया। उन्होंने कहा कि सर सैयद ने समाज एवं देश की भलाई के लिये अपने समय की परम्पराओं के विरुद्ध कदम उठाया। तारिक छतारी ने कहा कि एएमयू की यह परम्परा है कि समय के बेहतर रिवाज़ को अपनाया जाए तथा अच्छे मूल्यों पर अमल किया जाए। उन्होंने कहा कि वर्षों पुरानी रीति को अपने युग के मिजाज एवं तकाजों को समझे बगैर पकड़े रहना अलीगढ़ की संस्कृति के विरुद्ध है।

संस्कृति का एक पहलू है उर्दू भाषा
प्रोफेसर अबु सुफियान ने कहा कि उर्दू भाषा का प्रयोग अलीगढ़ की संस्कृति का महत्वपूर्ण पहलू है। उन्होंने कहा कि जिस भाषा में पूर्वजों ने ज्ञान को जमा किया है। उसको उसी भाषा में प्राप्त किये बगैर विरासत का ज्ञान अधूरा रह जाता है। प्रोफेसर तसद्दुक हुसैन ने कहा कि हमें नकारात्मक सोच से ऊपर उठ कर अलीगढ़ की संस्कृति को दोबारा जीवित करना होगा।

अंग्रेजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर अलीशा इबकार ने बुद्धिजीवी बटलर के संस्कृति की कल्पना का विश्लेषण किया। जबकि शोधार्थी काशिफ इलियास ने संस्कृति की कल्पना का आलोचनात्मक विश्लेषण किया। प्रो. हबीब उर रहमान ने परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए इस प्रकार के कार्यक्रम की संस्कृति को जीवित किये जाने का स्वागत किया। डॉ आयशा मुनीरा ने कार्यक्रम का संचालन किया।

Home / Aligarh / सर सैयद के शहर से उर्दू हो रही गायब, एएमयू चिंतित

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो