पति के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद समस्या मूलरूप से बिहार निवासी सुनीता गांधी पार्क थाने के निकट झुग्गी-झोपड़ी में रहती हैं। आठ साल पहले पति रविदास के साथ वह रोजी-रोटी की तलाश में
अलीगढ़ आ गईं थी। यहां पति को कोई काम नहीं मिला तो वह मोचीगिरी करने लगे। नगला मानसिंह के पास
मंदिर के सहारे उन्होंने फुटपाथ पर एक छोटी सी दुकान खोल ली। दो वर्ष पहले सुनीता के पति रविदास का एक्सीडेंट हो गया। दाएं पैर में गंभीर चोट आई और वह चलने-फिरने लायक भी नहीं रहे। सुनीता के सामने आर्थिक तंगी खड़ी हो गई। पति के इलाज में पैसे खर्च हुए तो वह कर्जदार हो गईं।
मोची का काम करके पति का इलाज कराया सुनीता को कोई रास्ता नहीं दिखाई दे रहा था। अंत में उन्होंने पति के काम को खुद करने की ठान ली। पति रविदास ने मना किया औक कहा कि औरत होकर फुटपाथ पर बैठोगी, मैं कतई नहीं होने दूंगा। सुनीता ने किसी तरह समझाया। उन्होंने पति के काम को शुरू कर दिया। आज वह प्रतिदिन 150 से 200 रुपये तक कमा लेती हैं। धीरे-धीरे पति का इलाज भी कराया। अब वह भी कुछ ठीक हो गए। वह भी कुछ देर सुनीता के साथ दुकान पर बैठते हैं। महिला दिवस के बारे में सुनीता नहीं जानती, लेकिन खुद को इतना मजबूत बना लिया कि किसी के सामने हाथ फैलाना के लिए मजबूर नहीं हुई। झुग्गी झोपड़ी में रहती है और अपना परिवार चला रही है।