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लखनऊ में हर साल 80-100 मिसाइलों का उत्पादन करेगा ब्रह्मोस एयरोस्पेस, जानें कब से होगा शुरू जानें क्या है पूरा मामला जानकारी के अनुसार अलीगढ़ के थाना दादों क्षेत्र के गांव गोविंद नगर तराई निवासी पीड़ित महिला चमेली देवी द्वारा दो लोगों पर थाने पर मुकदमा दर्ज कराया था। पीड़ित महिला ने 20 साल पहले थाने पर पुलिस को दी गई लिखित तहरीर में आरोप लगाते हुए कहा था कि घटना 7 मार्च 2002 की है जब मूलरूप से पंजाब राज्य के जिला अमृतसर के तहसील तरनतारन के थाना चिवाड़ इलाके के गांव कोत निवासी जागीर सिंह और उसके बेटे सोनू व अलीगढ़ जिले के थाना दादो क्षेत्र के गांव गोविंद तराई के कांता सिंह व पीलीभीत के थाना माधोताड़ा के रामनगर निवासी पम्मा ने उसके पति बहादुर के साथ मारपीट की है। पुलिस ने पीड़ित महिला चमेली देवी की शिकायत पर इस मामले में चारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। इसके बाद पुलिस ने अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी गई। अदालत में चल रहे मुकदमे के दौरान सोनू की मौत हो चुकी है। जबकि जागीर अदालत में हाजिर नहीं हुआ। जागीर के अदालत में पेश नहीं होने के चलते कोर्ट ने ऐसे में उसकी फाइल अलग कर दी गई।
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Good News : अनुसूचित जाति के छात्रों को यूपी सरकार का बड़ा तोहफा, उठाने जा रही ये कदम सत्र परीक्षण एवं गवाहों के आधार पर मिली सजा इस मामले में विशेष लोक अभियोजक चमन प्रकाश शर्मा का कहना है कि एससी-एसटी एक्ट की विशेष अदालत के न्यायाधीश मनोज कुमार अग्रवाल ने की अदालत ने सोमवार को सत्र परीक्षण एवं गवाहों के आधार पर कांता व पम्मा को दोषी करार मानते हुए सजा सुनाई है। इसके साथ ही विशेष लोक अभियोजक ने कहा कि हाईकोर्ट ने 20 साल से ज्यादा चल रहे पुराने मुकदमे की सूची मांगी गई थी। इसी के चलते शामिल थाना दादों के इस मुकदमे में अदालत ने अपना फैसला सुनाया है। जबकि मामले में पीड़िता महिला भी लंबे समय से अदालत में चल रहे मुकदमे को लेकर संघर्ष कर रही थीं। जिसके बाद 20 साल बाद उसे न्याय मिल सका है।