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अलीराजपुर

आत्मा व शरीर का भेदज्ञान होने पर चिंतन की जरुरत नहीं पड़ती: साध्वी

धर्मसभा में ब्रह्माकुमारी माधुरी बहन ने कहा हम त्योहार खुशी का अनुभव करने के लिए मनाते है

अलीराजपुरNov 10, 2018 / 10:38 pm

अर्जुन रिछारिया

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आत्मा व शरीर का भेदज्ञान होने पर चिंतन की जरुरत नहीं पड़ती: साध्वी

आलीराजपुर. आत्मा और शरीर का भेद ज्ञान जिसको हो जाता है ,उसे किसी बात का चिंतन करने की जरुरत नहीं पड़ती। शरीर नाशवान है और आत्मा एक गति से दूसरी गति में पाप व पुण्य के साए में जाती है। भगवान का स्मरण करने वाला कभी संकट में नहीं फंसता है। ये बात बाहरपुरा में दशा वैष्णव पोरवाड़ समाज के वरिष्ठ सदस्य डॉ. कन्हैयालाल गुप्ता के यहां आयोजित धर्मसभा में जैन साध्वी शासनलता श्रीजी ने कही।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार दांत के बिना हाथी, सुगंध के बिना फूल और पानी के बिना नदी की शोभा नहीं होती, उसी प्रकार जीवन में दया नहीं हो तो जीवन की शोभा नहीं रहती है। जीवन में सबके साथ मैत्री भाव रखो। आत्मा को धर्म के साधनों से उज्जवल बना सकते हैं। साध्वी श्रीजी ने कहा जीवन को सुधारना है तो परमात्मा के बताएं मार्ग पर चलें। इससे पहले धर्मसभा का शुभारंभ ब्रह्माकुमारी माधुरी बहन, दशा वैष्णव पोरवाड़ समाज अध्यक्ष बद्रीलाल गुप्ता, जैन समाज अध्यक्ष मनीष जैन और डॉ.गुप्ता ने गुरदेव राजेंद्रसूरि के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया। डॉ. गुप्ता के आग्रह पर जैन समाज व दशा वैष्णव पोरवाड़ समाज का संयुक्त कार्यक्रम आयोजित हुआ।
आत्मिक स्थिति का दीपक जलाएं
धर्मसभा में ब्रह्माकुमारी माधुरी बहन ने कहा हम त्योहार खुशी का अनुभव करने के लिए मनाते है। 365 दिन ही खुशी का अनुभव करने के लिए घृणा व ईष्र्या को त्यागें। हम देह जाति धर्म अमीर गरीब आदि का भेदभाव करते है। इसे दूर कर आत्मिक स्थिति का दीपक जलाएं। परमात्मा ने शरीर श्रेष्ठ कर्म करने के लिए दिया है। इसलिए पुण्य कार्य करो। असाड़ा राजपुत समाज सदस्य अरुण गेहलोत ने कहा कि दो समाज का संगम अनुकरणीय व सराहनीय है।
भगवान को लगा छप्पन भोग
धर्मसभा के बाद बालाजी गार्डन में अन्नकूट महोत्सव व स्वामी वात्सल्य आयोजित किया गया। यहां भगवान छप्पन भोग लगाकर भगवान की आरती उतारी गई। कार्यक्रम में एडीजे राजेश गुप्ता, मंत्रालय में डिप्टी कमिश्नर डॉ. भारती गुप्ता, अभा दशा वैष्ण पोरवाड़ महासभा के आशीष गुप्ता सहित अन्य अतिथि जैन व गुप्ता समाज के लोग मौजूद थे।

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