scriptचौका देने वाला फैसला: 42 साल बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 4 आरोपियों को किया बरी, जानिए वजह | After 42 years, Allahabad High Court acquitted 4 accused | Patrika News
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चौका देने वाला फैसला: 42 साल बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 4 आरोपियों को किया बरी, जानिए वजह

कोर्ट ने कहा कि मिले आधार पर हमें संदेह है कि शिकायतकर्ता ने गांव में पड़ी डकैती का प्रयोग उन लोगों को झूठा फंसाने के लिए किया है, जिनके साथ उसकी दुश्मनी थी। जिसकी वजह से बेगुनाह लोग जेल बंद हैं। 16 मई 1980 को आईपीसी की धारा 395/397 के तहत बारह व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर में आरोप लगाया गया कि रात करीब नौ बजे शिकायतकर्ता ने अपने भाई राम सिंह और भतीजे और मृतक के बेटे रणबीर सिंह की चीखें सुनीं।

प्रयागराजApr 18, 2022 / 10:27 am

Sumit Yadav

चौका देने वाला फैसला: 42 साल बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 4 आरोपियों को किया बरी, जानिए वजह

चौका देने वाला फैसला: 42 साल बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 4 आरोपियों को किया बरी, जानिए वजह

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डकैती मामले की सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण फैसला लिया है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए 42 साल पुराने डकैती के मामले में 4 आरोपियों को बरी कर दिया। जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस समीर जैन की पीठ ने माना कि मामले में आरोपियों को जबरजस्ती झूठे केस में फंसाने की आशंका है। मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि मिले आधार पर हमें संदेह है कि शिकायतकर्ता ने गांव में पड़ी डकैती का प्रयोग उन लोगों को झूठा फंसाने के लिए किया है, जिनके साथ उसकी दुश्मनी थी। जिसकी वजह से बेगुनाह लोग जेल बंद हैं। 16 मई 1980 को आईपीसी की धारा 395/397 के तहत बारह व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर में आरोप लगाया गया कि रात करीब नौ बजे शिकायतकर्ता ने अपने भाई राम सिंह और भतीजे और मृतक के बेटे रणबीर सिंह की चीखें सुनीं। जब वहां पर गए तो 10 से 12 व्यक्ति से मारपीट हो रही थी।
जिनके पास बंदूक, पिस्टल और बल्लम थे। जब विरोध किया तो आरोपी ने हमला कर दिया। इसके अलावा गोली चलने से ग्रामीण की मौत हो गई। मामले में शिकायतकर्ता पक्ष को निशाना बनाया, जिससे शिकायतकर्ता पार्टी घबरा गई और वे अपनी सुरक्षा के लिए घरों में घुस गए।
8 नामित व्यक्तियों में से 7 व्यक्तियों के खिलाफ

आरोप पत्र दायर किए गए, उन पर मुकदमा चलाया गया और बाद में उन्हें आईपीसी की धारा 396 के तहत दोषी ठहराया गया। चूंकि जांच के दौरान गजराम की मौत हो गई थी, इसलिए उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं की गई। यह अपील सात व्यक्तियों प्रेम, मोहर सिंह, रमेश, बनवारी, भगवान सिंह, राजेंद्र और राजपाल ने दायर की थी। उनमें से अपीलकर्ता संख्या एक (प्रेम); अपीलकर्ता संख्या तीन (रमेश); और अपीलकर्ता संख्या चार (बनवारी) की मृत्यु हो गई है और उनकी अपील समाप्त कर दी गई है।
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दुश्मनी की वजह से फंसाया गया

मामले में निचली अदालत के फैसले और आदेश को चुनौती देने का मुख्य आधार यह था कि आरोपी व्यक्तियों को शिकायतकर्ताों के साथ उनकी पिछली दुश्मनी के कारण मामले में फंसाया गया था। न्यायालय की टिप्पणियां शुरुआत में, कोर्ट ने कहा कि चूंकि उस भयावह रात में गांव में डकैती की घटना को विधिवत साबित कर दिया गया था, इसलिए एकमात्र सवाल यह था कि क्या आरोपी को डकैतों के उस गिरोह का हिस्सा थे या नहीं, जिसने डकैती की थी। अदालत को इस सवाल की भी जांच करनी थी कि क्या यह झूठा फंसाए जाने का मामला था।
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