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प्रयागराज

BHU :संस्कृत शिक्षक फ़िरोज़ खान के समर्थन में अखाड़ा परिषद , महंत नरेद्र गिरी ने कहा विरोध गलत

गैर मजहबी शिक्षा ग्रहण करने और उसमे विद्वता हासिल करने पर फिरोज खान का सम्मान

प्रयागराजNov 22, 2019 / 05:26 pm

प्रसून पांडे

Akhara Parishad president Narendra Giri supported Feroze Khan

BHU :संस्कृत शिक्षक फ़िरोज़ खान के समर्थन में अखाड़ा परिषद , महंत नरेद्र गिरी ने कहा विरोध गलत

प्रयागराज। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में मुस्लिम शिक्षक की नियुक्ति को लेकर हो रहे बवाल के बीच अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद शिक्षक फिरोज खान के साथ खड़ा दिख रहा है।अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों से अपील करते हुए कहा है कि मुस्लिम शिक्षक फिरोज खान के कदम से कदम मिलाकर चलें उनका सहयोग करें और उनसे शिक्षा ग्रहण करें ।उन्होंने बीएचयू के छात्रों से आंदोलन को वापस लेने की अपील की है।गौरतलब है कि फिरोज खान की नियुक्ति बीएचयू के संस्कृत विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर हुई है।

महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि पहले ऐसा होता था जब गुरुकुल परंपरा थी । तब खास वर्ग के लोगों का चयन हुआ करता था जो उचित भी था। लेकिन भारत आज 21वीं सदी में पहुंच चुका है । जहां हर धर्म हर मजहब हर भाषा का सम्मान होना चाहिए ज्ञान का सम्मान होना चाहिए । जिन्हें जो संवैधानिक अधिकार मिले हैं उसके तहत उनका आदर करना चाहिए । ऐसे में अगर मुस्लिम प्रोफेसर संस्कृत पढ़ा रहे हैं तो यह अच्छी बात है हमें उनका विरोध नहीं करना चाहिए । बल्कि हमें उनका स्वागत करना चाहिए क्योंकि उन्होंने गैर मजहबी भाषा को चुना और पढ़े उसके विद्वान बनें । एक मुस्लिम ने संस्कृत की शिक्षा ग्रहण की हमारे लिए बड़ी बात है । इसलिए उनका सम्मान होना चाहिए।

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कर्मकांड का विरोध
वहीं इससे अलग काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों का कहना है कि मुस्लिम शिक्षक का कोई विरोध नहीं है । विरोध इस बात का है कि संस्कृत विषय में जिस धर्म विद्या विज्ञान छंद वेद उन्हें पढ़ाने है । उसमें प्रायोगिक कर्मकांड भी होते हैं जो वह मुस्लिम होने के नाते नहीं कर सकते है । इस बात का विरोध है कि जब वह कर्मकांड नहीं कर सकते तो कैसे पढ़ा सकते हैं । उन्होंने कहा कि तमाम विषयों को मुस्लिम शिक्षक पढ़ा रहे हैं और सभी पढ़ रहे हैं लेकिन जो चीजें कर्मकांड से जुड़ी हैं उनको कैसे स्वीकार किया जा सकता है।

 

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