इस शासनादेश में चयन में शामिल होने के अनापत्ति पर रोक लगाई गई थी। कोर्ट ने कहा है कि इस शासनादेश से प्रभावित सभी अभ्यर्थियों को चयन प्रक्रिया में 1981की सेवा नियमावली के तहत शामिल होकर पसंद के जिले में नियुक्ति पाने का अधिकार है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने रोहित कुमार व 56अन्य,अतुल मिश्र व 61अन्य, राघवेन्द्र प्रताप सिंह व 14अन्य,दीपक वर्मा वह 77अन्य,रूबी निगम वह 25अन्य वह दर्जनों याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया है। याचियों का कहना था कि वे विभिन्न जिलों में सहायक अध्यापक पद पर कार्यरत है।उनका चयन 2018 की भर्ती में भी हुआ है। उन्हें काउंसिलिंग में शामिल होने के लिए बी एस ए द्वारा अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं दिया जा रहा है। वे मेरिट के आधार पर पसंद के जिले में नियुक्ति पाना चाहते हैं।
सरकार व बोर्ड का कहना था कि शासनादेश में अध्यापकों को फिर से उसी पद पर चयनित करने से काफी पद खाली हो जायेंगे।यदि पसंद का जिले में नियुक्ति पानी है तो अंतर्जनपदीय तबादला नीति के तहत आवेदन दे सकते हैं। याचियों का कहना था कि संविधान के अनुच्छेद 14व16के तहत उन्हें भर्ती में शामिल होने और मेरिट पर नियुक्ति पाने का अधिकार है। अनापत्ति पर रोक संविधान के मूल अधिकारों के खिलाफ है। कोर्ट ने अनापत्ति पर रोक को विभेदकारी व मनमाना पूर्ण तथा कानून व सेवा नियमावली के अधिकार क्षेत्र से बाहर माना और रद्द कर दिया है। अब सभी चयनित अध्यापकों के मेरिट के आधार पर नियुक्ति पाने का रास्ता साफ हो गया है।