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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- जिस स्थान पर शहीद चंद्रशेखर आजाद ने अपने प्राण त्यागे, वह स्थान भी प्लान में नहीं है इंगित

चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जेजे मुनीर की पीठ ने प्राइवेट लैंड सर्वेयर द्वारा तैयार किए गए ले आउट प्लान में कुछ विसंगतियां पाईं। जिसको लेकर कोर्ट ने राज्य के वकील से पूछा कि प्राइवेट सदXउ र्वेयर क्यों नियुक्त किया गया। कोर्ट ने कहा कि जिस स्थान पर शहीद चंद्रशेखर आजाद ने अपने प्राण त्यागे, वह स्थान भी प्लान में इंगित नहीं किया गया है।

प्रयागराजAug 17, 2022 / 04:56 pm

Sumit Yadav

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- जिस स्थान पर शहीद चंद्रशेखर आजाद ने अपने प्राण त्यागे, वह स्थान भी प्लान में नहीं है इंगित

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- जिस स्थान पर शहीद चंद्रशेखर आजाद ने अपने प्राण त्यागे, वह स्थान भी प्लान में नहीं है इंगित

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चंद्रशेखर आजाद पार्क से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए प्रायवेट लैंड सर्वेयर प्रोजेक्ट कंसल्टिंग इंजीनियर द्वारा बनाए गए अमर चंद्रशेखर आजाद पार्क की ले आउट प्लान खारिज कर दी। इसके बाद कोर्ट ने राज्य सरकार से नए लेआउट योजना के साथ कोर्ट में हाजिर होने को कहा है। मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जेजे मुनीर की पीठ ने प्राइवेट लैंड सर्वेयर द्वारा तैयार किए गए ले आउट प्लान में कुछ विसंगतियां पाईं। जिसको लेकर कोर्ट ने राज्य के वकील से पूछा कि प्राइवेट सदXउ र्वेयर क्यों नियुक्त किया गया। कोर्ट ने कहा कि जिस स्थान पर शहीद चंद्रशेखर आजाद ने अपने प्राण त्यागे, वह स्थान भी प्लान में इंगित नहीं किया गया है।
शहीद चंद्रशेखर आजाद पार्क रखता है महत्व

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित एतिहासिक महत्व रखता है। वर्ष 1931 में महान क्रांतिकारी और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत शहीद भगत सिंह के सहयोगी चंद्रशेखर आजाद को अंग्रेजों द्वारा इसी पार्क में बेरहमी से मार दिया गया था। मामले में कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से प्लान तैयार की गई है वह आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती। जाहिर है कि उसे ले आउट प्लान तैयार करने और किंवदंतियों को दिखाने की प्रक्रिया के बारे में पता नहीं है।
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यहां तक कि अदालत में पेश की गई प्लान के अनुसार, बहुत कुछ चंद्रशेखर आजाद पार्क की तरह नज़र आता है, जिसे पहले अल्फ्रेड पार्क और कंपनी गार्डन के नाम से जाना जाता था। बाद में विभिन्न स्थानों पर मौजूद निर्माणों का कोई स्पष्टीकरण उपलब्ध नहीं है। जिस स्थान पर शहीद चंद्रशेखर आजाद ने अपने प्राण त्यागे, वह स्थान भी प्लान में भी इंगित नहीं किया गया।

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