scriptलोन वसूली में नहीं हो सकती है उत्तराधिकारी की गिरफ्तारी | Allahabad High Court Order Can not successor arrest in Loan recovery | Patrika News
प्रयागराज

लोन वसूली में नहीं हो सकती है उत्तराधिकारी की गिरफ्तारी

मुख्य सचिव को गलत गिरफ्तारी का मुआवजा तय करने का निर्देश, ओटीएस स्कीम का मिले लाभ-लोन वसूली पर रोक

प्रयागराजMay 30, 2019 / 08:54 am

sarveshwari Mishra

allahabad High court

इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि लोन वसूली कार्यवाही में उत्तराधिकारी की गिरफ्तारी कर 14 दिन हिरासत में रखना मनमानीपूर्ण, अवैध एवं संविधान के तहत मिले जीवन के मूल अधिकार का हनन है। कोर्ट ने गिरफ्तारी को धारा 45 A की बाध्यकारी प्रक्रिया के विपरीत करार दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि उत्तराधिकारी के खिलाफ लोन की वसूली कार्यवाही उसे उत्तराधिकार में मिली सम्पत्ति तक ही सीमित है। बैंक को विहित प्रक्रिया के तहत कोर्ट के मार्फत लोन वसूली का ही अधिकार है। वह भी देयता तिथि से तीन साल के भीतर ही हो सकती है। इस धारा में महिलाओं, बच्चे, 65 साल के सीनियर नागरिकों, सैनिकों व कानून में छूट प्राप्त लोगों की गिरफ्तारी नहीं की जा सकती। कोर्ट ने अवैध गिरफ्तारी पर मुआवजा पाने के अधिकार पर प्रदेश के मुख्य सचिव को सचिव रैंक के अधिकारी से रिपोर्ट मंगाकर मुआवजा निर्धारित करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि सचिव, जिलाधिकारी से रिपोर्ट मंगाकर मुख्य सचिव को रिपोर्ट दे और मुख्य सचिव मुआवजे का निर्धारण कर आधी राशि बैंक व आधी राशि राज्य सरकार से लेकर याची को भुगतान कराये। कोर्ट ने मुख्य सचिव को प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को सर्कुलर जारी कर लोन न देने वालों की गिरफ्तारी के कानून का पालन करने का निर्देश देने को कहा है। साथ ही लोन वसूली के लिए ओटीएस स्कीम के तहत याची को लाभ दिया जाए और तब तक याची से लोन वसूली न की जाए।

यह आदेश न्यायमूर्ति एस.पी.केशरवानी ने शिव नारायण व चार अन्य की याचिका पर दिया है। याची के पिता रामेश्वर ने ट्रैक्टर खरीदने के लिए 12 सितम्बर 2000 को डेढ़ लाख का उ.प्र. सरकारी ग्राम विकास बैंक हमीरपुर से लोन लिया और किश्तों का भुगतान नहीं किया। 16 अप्रैल 18 को उसकी मौत हो गयी। बैंक ने 18 जून 13 को दस फीसदी संग्रह चार्ज के साथ 9 लाख 16 हजार 501 रूपये की उत्तराधिकारी याचीगण से वसूली कार्यवाही शुरू की जिसके तहत याची शिवनारायण मृतक के पुत्र को गिरफ्तार कर 14 दिन की हिरासत में रखा गया। कोर्ट ने कहा कि व्यवहार प्रक्रिया संहिता की धारा 11 व राजस्व संहिता अन्य कानूनों में लोन वसूली प्रक्रिया दी गयी है।
कानूनी प्रक्रिया के तहत ही वसूली की जा सकती है। कोर्ट ने कहाकि समाज के कमजोर वर्ग के खिलाफ उत्पीड़न को कोर्ट आंख बंद कर नहीं देख सकती। किसान जीवन संघर्ष में उलझा हुआ है। उसकी आर्थिक स्थिति व क्षमता को देखते हुए कोर्ट फैसला ले सकती है। तकनीकी कारण न्याय में बाधक नहीं बन सकते। उत्तराधिकारी को मिले हक की हद तक ही वसूली हो सकती है, उसकी गिरफ्तारी नहीं की जा सकती।
BY- Court Correspondence

Home / Prayagraj / लोन वसूली में नहीं हो सकती है उत्तराधिकारी की गिरफ्तारी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो