कोर्ट ने कहा है कि नजूल भूमि पर अवैध कब्जेदारों के हटने के बाद उस भूमि को सरकार के कब्जे में दिया जाए, ताकि स्मार्ट सिटी योजना के तहत शहर का विकास कार्य पूरा किया जा सके। जिलाधिकारी के आदेश के खिलाफ दाखिल 12 लोगों की याचिकाएं कोर्ट ने खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने प्रकृति राय व 6 अन्य सहित 6 याचिकाओं पर दिया है। राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार सिंह एवं अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता निमाई दास ने सरकार का पक्ष रखा। उनका कहना था नजूल भूमि पर पट्टे की अवधि समाप्त हो चुकी है और उसका नवीनीकरण भी नहीं हुआ है। न ही जमीन की प्रकृति बदलने के संबंध में याचियों की अर्जी पर शासन ने कोई निर्णय नहीं लिया है। ऐसी स्थिति में जमीन पर याचियों को बने रहने का कोई हक नहीं है।
कोर्ट ने कहा केवल भूमि अधिकार में परिवर्तन के लिए आवेदन देने मात्र से किसी को कोई अधिकार नहीं मिल जाता। किसी भूमि पर कब्जा वैधानिक होना चाहिए, अनधिकृत रूप से किया गया कब्जा किसी भी रूप से मान्य नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा याचियों ने कोर्ट के अंतरिम आदेश से 15 माह से अधिक समय तक अवैध कब्जा बनाए रखा। वे एक माह मे कब्जा खाली करें।
BY- Court Corrospondence