इलाहाबाद विश्वविद्यालय का छात्र संघ देश में लोकतंत्र की नर्सरी कहा जाता है। विश्वविद्यालय में छात्रसंघ की जीत और हार देश में राजनीतिक लहर और सियासी हलचल तय करेगी ।विश्वविद्यलय में चुनाव प्रचार प्रसार शुरू हो चूका है । बता दें की कैम्पस में छात्रसभा बनाम परिषद की लड़ाई होनी है । बीता छात्रसंघ चुनाव अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लिए अच्छा नहीं रहा। वही एक बार फिर समाजवादी छात्र सभा पूरे दम के साथ कैंपस में उतर चुकी है ।अभी तक संगठनों द्वारा प्रत्याशियों का चयन नहीं किया गया है।
छात्र संघ चुनाव में हमेशा से मौजूदा सरकार के मुद्दे उठते रहे है ।चुनावी मंचों पर सरकार से जुड़े संगठनों पर हमला कर नेता अपना पक्ष मजबूत करते है। दरअसल छात्र संघ चुनाव में विश्वविद्यालय से जुड़े मुद्दों के साथ सरकार के कामो का भी लेखा जोखा गिनाया जाएगा । जिसमे सबसे अहम कड़ी विश्वविद्यालय में कुलपति को लेकर चल रहे विवाद को भुनाने की कोशिश होगी ।वही कुलपति के जरिये समाजवादी छात्रसभा, एनएसयूआई सहित आइसा,एसएफआई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पर निशाना साधने की तैयारी में है । माना जाता है की परिषद भजापा का वैचारिक संगठन है ।
वही चुनाव में सरकार के महतवपूर्ण फैसलों का असर भी देखने को मिलेगा।विवि के शोध छात्र नीरज सिंह ने कहा कि इस बार छात्र संघ का चुनाव केंद्र और राज्य की सरकार को आईना दिखाने वाला होगा ।और यह सही समय है, कि सरकार को यह बताया जाए की उसके निर्णय से आम लोग ही नही उनकी सरकार उनके संगठन पर भी असर पड़ता है ।ज्ञान प्रकाश ने कहा कि सरकार की आरक्षण नीति लोकतंत्र की नर्सरी पर भी अपना तरह असर दिखाने जा रही है । हर मुद्दे पर सरकार के साथ खड़े रहने वाले युवा उन्हें अपनी ताकत दिखाएँगे ।