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प्रयागराज

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति का इस्तीफा राष्ट्रपति ने किया मंजूर ,अश्लील ऑडियो ने बिगाड़ी छवि

कुलपति पर भारी पड़े मनमाने निर्णय

प्रयागराजJan 03, 2020 / 02:24 pm

प्रसून पांडे

allahabad University vc resignation accepted by president

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति का इस्तीफा राष्ट्रपति ने किया मंजूर ,अश्लील ऑडियो ने बिगाड़ी छवि

प्रयागराज | इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रतनलाल हंगलू का इस्तीफा राष्ट्रपति ने मंजूर कर लिया है।गौरतलब है कि एक जनवरी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय को कुलपति हंगलू ने अपना इस्तीफा भेजा था। मंत्रालय ने स्वीकार करते हुए राष्ट्रपति को फाइल भेज दी थी।

राष्ट्रपति ने दी मंजूरी

कुलपति प्रोफेसर रतनलाल हंगलू ने अपना चार साल का कार्यकाल 31 दिसंबर को पूरा किया। 1 जनवरी की सुबह विवि में सब कुछ सामान्य था। लेकिन अचानक देर शाम मंत्रालय को इस्तीफा भेज दिया। जिसे कुछ ही देर में मंजूर कर लिया गया । मंत्रालय द्वारा इसकी फाइल राष्ट्रपति भवन को भेज दी गई। कुलपति प्रोफेसर रतनलाल हंगलू पर वित्तीय अनियमितता के साथ महिला उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगा था । कुलपति की नीतियों के खिलाफ लंबे समय से संघर्षरत छात्र नेताओं सहित आम छात्रों ने जश्न मनाया।वहीं कुलपति के पक्ष में महाविद्यालय के शिक्षकों ने पेन डाउन करने की बात कही। लेकिन शुक्रवार की सुबह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कुलपति प्रोफेसर रतनलाल हंगलू का इस्तीफा मंजूर कर लिया। जिसकी पुष्टि भी मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा कर दी गई है।

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अश्लील ऑडियो ने बिगाड़ी छवि
प्रोफेसर हंगलू का कार्यकाल विवादों के साए में रहा। उनके आते ही तमाम उनके आते ही विवि में आंदोलन, धरना , हो गया ।कुलपति पर यह आरोप लगता रहा कुलपति कुछ लोगों के घेरे में है। जबकि आम शिक्षक और छात्र कुलपति से दूर थे। कुलपति का छात्रों से न मिलना एक बड़े विवाद का कारण था। कुलपति के खिलाफ तीन बार केंद्रीय जांच कमेटी विश्वविद्यालय आ चुकी थी। साथ ही कुलपति पर महिला उत्पीड़न का गंभीर आरोप था। उनके कई अश्लील ऑडियो वायरल हो चुके थे। इन सब के बावजूद भी कुलपति के साथ खड़ा खेमा उन्हें इन सब चीजों से अलग बताता और उनकी छवि बदनाम करने की साजिश करार देता था। लेकिन बीते दिनों छात्राओं के आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा कुलपति को तलब किए जाने के बाद से कुलपति बैकफुट पर थे। हालांकि मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्तियों को खोल दिए जाने के बाद कुलपति का खेमा बेहद खुश था। लेकिन नियुक्तियां खुलते ही कुलपति के निर्णय ने हडकंप मचा दिया।

कुलपति पर भारी पड़े निर्णय

जिसमें से विवादित शिक्षकों को महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त करना शामिल था। ऑनलाइन -ऑफलाइन का विवाद लंबे समय तक चला ।प्रोफेसर हंगलू ने छात्र परिषद का गठन किया। छात्र संघ को भंग कर दिया। छात्रावासों में तीन गुना से ज्यादा फीस बढ़ा दी गई। पत्राचार संस्थान बंद करने का फैसला। विश्वविद्यालय के एकेडमिक काउंसिल के अचानक हुई बैठक में पत्राचार संस्थान को बंद करने का निर्णय लिया गया जबकि पत्राचार संस्थान कभी विश्वविद्यालय का अभिन्न अंग था। लेकिन विश्वविद्यालय को केंद्रीय दर्जा मिला तो उसमें संस्थान की स्थिति सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूट बता दी गई। जबकि कार्यपरिषद की बैठक में हुए इस निर्णय पर इस विश्वविद्यालय का अंग बनाने का प्रस्ताव एमएचआरडी मंत्रालय को भेजा गया था। मंत्रालय ने इसे राष्ट्रपति को भेजा राष्ट्रपति ने इसे अस्वीकार कर दिया था। छात्रों से ना मिलना अपने कार खासों की सलाह पर निर्णय लेना। छात्रों का निष्कासन हर आंदोलित छात्र नेता के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराना।

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