गंगा किनारे के छोरे का जन्म इलाहाबाद में 11 अक्टूबर 1942 को हुआ और आज भी उनके प्रशंसक संगम नगरी में उनका जन्म दिन बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंश राय बच्चन अग्रवाल इंटर कॉलेज में 34 रूपय प्रति माह की नौकरी करके इंटर कॉलेज में अंग्रेजी के अध्यापक हुए। जहां 6 महीने पढ़ाने के बाद उनकी नियुक्ति इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में हो गई । यहीं पर अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंश राय बच्चन उनकी मां तेजी बच्चन से मुलाकात हुई थी। मां तेजी बच्चन इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एम ए इंग्लिश की स्टूडेंट थी। और हरिवंश राय बच्चन इंग्लिश विभाग में रिसर्च करते हुए यहां नियुक्त हुए थे। अमिताभ बच्चन का जन्म उनके पिता के किराए के मकान में कटघर में हुआ था। उसके बाद हरिवंश राय बच्चन तेज़ी बच्चन सहित सिविल लाइंस के क्लाइव रोड स्थित बंगलो नम्बर 17 में शिफ्ट हो गये। यही से अमिताभ बच्चन की शुरुवाती शिक्षा ब्याज हाई स्कूल में हुई। अमिताभ का इंतज़ार आज भी उनका शहर करता है। आज उनके लिये दुवाएं मांग रह है। बीते दिनों जब अभिषेक और एश्वर्या शहर में थे। तब बाबा बंगलो नम्बर 17 को देखने गए थे।
अमिताभ बच्चन अपने फ़िल्मी कैरियर की शुरुवात के बाद भी पिता के जरिये संगम नगरी से जुड़े रहे।अभिनय से बिग बी ने दुनिया में शहर को पहचान दी।अमिताभ बच्चन को एक्जायी इलाहाबादी कहा गया।इसका इसका मतलब जिसका कोई सानी ना हो। इलाहाबाद की अपनी एक संस्कृति है जिसके हिसाब से किसी को उसके काम और शहर का नाम रोशन करने पर एक नामी खिताब दिया जाता है।अब अमिताभ को एक्जायी इलाहाबादी कहां है। बाबा अभय अवस्थी कहते है।की अमिताभ में पूरा 75 बरस का इलाहाबाद है।जिसमे पिता से मिला साहित्य और हिंदी के अटूट वक्ता मां तेज़ी बच्चन से राजनीत के गुण मिले है।माँ तेज़ी बच्चन के इंदिरा गांधी से बेहद करीबी रिश्ते थे।तेज़ी गांधी परिवार से लेकर पार्टी तक के कामो में बेबाक राय रखा करती थी।जिसे गाँधी परिवार में हर कोई तवज्जो दिया करता था।जिसका नतीजा रहा की कुछ दिनों की फ़िल्मी दुनिया से आराम लेकर अमिताभ राजनीत में आये भले ही लम्बा समय नही गुजारा लेकिन अपने समय के दिज्ज्ग नेता को 1984 के लोकसभा में मात देकर दिल्ली पहुचे। आज भी अमिताभ के चुनावी सभाए उस दौरान के लोगो के जेहन में जिन्दा है। खुद अपने शहर में बेटे की चुनाव कमान उनके पिता हरिवंश राय बच्चन ने सम्भाली थी।
आज भी महानायक को खुद का कह कर इतराता है शहर
अमिताभ बच्चन सदी के नायक हुए और फ़िल्मी दुनिया में राज किया।लेकिन देश के मंचो सहित दुनिया भर में खुद को गंगा किनारे वाला ही बताया। हालाकि लम्बे समय से भले ही अमिताभ का आना जाना कम हुआ हो।लेकिन आज भी युवा अमिताभ की यादे लोगो में ताज़ा है।आज यह शहर और यहाँ के लोग उन पर नाज करते है।डॉ धनजय चोपड़ा कहते है। की यह शहर कभी भी अपने से अमिताभ को दूर नही कर पाया।उनकी हर सफलता पर शहर ने जश्न मनाया और उनकी मुश्किल घड़ी में उनके साथ खड़ा रहा। पिता के साहित्य के संकार अमिताभ के पास है। जो उन्हें आज भी साहित्य की राजधानी से जोड़ता है।और उन्हें आज भी अपना बनाता है। इस शहर में साहित्य उनके पिता ने रचा तो अमिताभ ने यहाँ की अपनी पीढ़ी को रोमांस सिखाया। कहते है की अमिताभ की हर अदा यहा कही ना कही फिट बैठ ही जाती थी।उनका हेयर स्टाइल हो या कपड़ो की बनावट जिस दिन स्क्रीन पर आती।उसके बाद यहाँ की सडको पर दिखने लगती थी।
अमिताभ बच्चन का अज भी संगम नगरी में लेटे हुए हनुमान मंदिर से भी विशेष आस्था जुड़ी है। हर साल बिग के जन्म दिन पर मुम्बई से अमिताभ बच्चन से जुड़ा ब्यक्ति लेटे हनुमान मंदिर आता है।और उनके नाम पर पूजा अर्चना भी कराता है। बाघंबरी मठ के महंत और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि के मुताबिक लेटे हनुमान को प्रयाग का कोतवाल कहा जाता है।और अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंश राय बच्चन की इस मंदिर में बहुत गहरी आस्था थी। उनके मुताबिक जब वे परिवार के साथ गंगा स्नान के लिए आते थे तो यहां जरुर रुकते थे और मंदिर में पूजा अर्चना भी करते थे। महंत नरेन्द्र गिरी के मुताबिक 1982.83 में फिल्म कूली की शूटिंग के दौरान जब अमिताभ बच्चन घायल हो गए थे। उस दौरान 2 बार उनके पिता हरिवंश राय बच्चन ने लेटे हनुमान मंदिर में अमिताभ की सलामती के लिए अनुष्ठान कराया था। स्वामी बलदेव गिरी महाराज ने 101 वैदिक ब्राम्हणों से 11 दिन तक एकदशनी यज्ञ करवाया था। यज्ञ की पूर्णाहुति के दिन हवन करते समय सूचना मिली थी।कि अमिताभ को आराम हो गया है। उनके ठीक होने के बाद उस समय बाबूजी उन्हें मुंबई से इलाहाबाद लेकर आए थे। तभी से अमिताभ बच्चन हर साल इस मंदिर में अपने जन्मदिन पर अर्जी लगवाते आ रहे हैं। 2011 में जब अमिताभ दोबारा गंभीर रुप से बीमार हुए थे। तब उनके भाई अजिताभ ने अनुष्ठान कराने की गुजारिश की थी। उस समय 21 वैदिक विद्वानों से 7 दिन का सूर्योपासना यज्ञ कराया गया था। ब्राह्मणों के लिए 51 हजार रुपए की दक्षिणा अजिताभ की ओर से भेजी गई थी। उन्होंने 51 किलो का पीतल का घंटा भी मंदिर में टंगवाया था। जो आज भी मौजूद है। महंत नरेन्द्र गिरी के मुताबिक अमिताभ बच्चन के जन्म दिन पर पूजा.अर्चना का पूरा कार्यक्रम गुप्त ही रखा जाता है। और जो सदस्य उनके नाम पर पूजा.अर्चना कराने आता है वह अपने साथ उनके लिए हनुमान जी के बांये पैर का टीका और प्रसाद मुंबई लेकर जाता है।