scriptबाहुबली अतीक अहमद के फूलपुर उपचुनाव लड़ने के मायने | Atiq Ahmad Wife will Harm Samajwadi Party and Congress in Phoolpur by | Patrika News
प्रयागराज

बाहुबली अतीक अहमद के फूलपुर उपचुनाव लड़ने के मायने

बाहुबली अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन ने फूलपुर उपचुनाव के लिये नामांकन पत्र खरीदकर बढ़ा दी है सियासी सरगर्मी।

प्रयागराजFeb 20, 2018 / 11:37 am

रफतउद्दीन फरीद

Atiq Ahmad and Wife

अतीक अहमद और उनकी पत्नी

इलाहाबाद. फूलपुर उपचुनाव में बाहुबली अतीक अहमद की पत्नी की इंट्री ने इसे और दिलचस्प बना दिया है। सपा, कांग्रेस और भाजपा के पत्याशियों के फाइनल होने के बाद अचानक पत्नी ने पति और अपने नाम से पर्चा खरीद कर सबको चौंका दिया है। माना जा रहा है कि अतीक मंगलवार को वकील के ज़रिए नामांकन कर सकते हैं। उनका यह कदम कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के मंसूबों पर पानी फेर सकता है। इस सीट पर जहां पहले विपक्ष के संयुक्त प्रत्याशी की बात हो रही थी वहीं समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने अपने अलग-अलग उम्मीदवार उतारे हैं। इसके बाद अब बाहुबली के मैदान में आने से जहां विपक्ष का गणित बिगड़ सकता है तो वहीं कहीं न कहीं बीजेपी को इसका फायदा मिलने की बात भी कही जा रही है।

अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन ने सोमवार को नामांकन के लिये पर्चा खरीदकर राजनैतिक हलकों में हलचल मचा दी। उन्होंने अपने अलावा एक परचा पति के नाम का भी खरीदा। अखिलेश यादव की ओर से विधानसभा चुनाव में टिकट काटे जाने के बाद भी अतीक ने समाजवादी पार्टी का साथ नहीं छोड़ा था। बल्कि उन्होंने सपा के खिलाफ निर्दल या किसी दूसरी पार्टी से चुनाव लड़ने से भी मना कर दिया था। उन्होंने समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव पर भरोसा जताया था। पर फूलपुर उपचुनाव में बाहुबली अतीक अहमद के इस दांव से समाजवादी पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। उनके या उनकी पत्नी के मैदान में आने से वोटों के ध्रुविकरण की संभावना प्रबल होगी। इस स्थिति में जहां विपक्ष, खासकर सपा को नुकसान होगा तो भाजपा फायदे में रहेगी।

फूलपुर से सांसद रह चुके हैं बाहुबली अतीक अहमद
बाहुबली अतीक अहमद इलाहाबाद की फूलपुर संसदीय सीट से सांसद रह चुके हैं। इस सीट पर उन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट पर 2004 में लोकसभा का चुनाव जीते। 25 जनवरी 2005 को इलाहाबाद पश्चिम के बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के बाद इसका आरोप अतीक अहमद पर लगा। 2007 में मायावती की सरकार आने के बाद बाहुबली की मुसीबतें बढ़ीं और एक के बाद एक दर्ज हुए मुकदमों से घबराकर अतीक अंडरग्राउंड हो गए।

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