हालांकि, उसने नाम बताने से मना कर दिया। वहीं, अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए उसने कहा, उसका रोजा है, लेकिन जब उसे दूसरी जेल में लाया गया तो उसे रास्ते में खाने के लिए कुछ नहीं दिया गया। अतीक का कहना है कि अगर उसकी हत्या होती है तो वह बंद लिफाफे में उस अधिकारी का नाम चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और मुख्यमंत्री को भेज देगा। मांग करते हुए उसने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को इस मामले में जांच करनी चाहिए।
दरअसल, जेल गेट में दाखिल होने से पहले पुलिस के वज्र वाहन में बैठे अशरफ ने मीडिया से लंबी बात की और कई सवालों के जवाब दिए। अपने साले सद्दाम से मुलाकात को लेकर भी उसने सफाई दी। उसने कहा कि वह विधायक रहा है और सद्दाम उसका ***** है। तमाम लोग उससे जुड़े हैं पर मिलना कोई अपराध नहीं है। उसने कहा कि उसे जेल में नहीं उसके बाहर खतरा है, क्योंकि गाड़ी का क्या है वह तो पंक्चर होकर भी पलट जाती है। अशरफ ने आगे कहा कि उसकी भाभी मेयर का चुनाव लड़ने वाली थी, इसलिए विपक्ष की ये साजिश है जिससे उसके परिवार को बदनाम किया जा सके।
मंगलवार को प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट में उमेश पाल अपहरण केस की सुनवाई हुई। इस दौरान साबरमती जेल से अतीक अहमद को और बरेली जेल से अशरफ को लाकर कोर्ट में पेश किया गया था। दिनेश चंद्र शुक्ल की अदालत ने मामले पर फैसला सुनाते हुए अतीक को मामले में दोषी ठहराया और अशरफ अहमद समेत सात आरोपियों को बरी कर दिया गया। इस केस में केवल अशरफ अहमद, फरहान, जावेद, इशार, आसिफ मल्ली और अंसार को निर्दोष करार दिया है।