तेज होगा आंदोलन
विश्व हिन्दू परिषद ने वर्ष 2018 के सितंबर महीने के शिकागो में बैठक कर राम मंदिर आंदोलन को तेज़ करने की रणनीति बना ली थी। वहां हुई बैठक में पहली बार 60 देशों के हिन्दू प्रवासी प्रतिनिधियों ने हिस्सा लेकर राम मंदिर आंदोलन को गति देने के निर्णय पर मुहर लगाई थी। इसके बाद विहिप ने यूरोप, हंगरी, कोलंबिया आदि देशों में अपने पांव पसारना शुरू कर दिया और अब इसे परवान चढ़ाने की कोशिश है। अर्धवार्षिक प्रन्यासी बैठक से शुरुआत होने वाली इस तैयारी में सिलसिलेवार कार्यकर्ताओं, संतों, वनवासियों, चुनिंदा युवाओं को प्रशिक्षित करने का काम होगा। यहां तक विहिप के अनुषांगिक संगठन में रूप में कार्य करने वाली महिला विंग को भी सक्रिय किया जाएगा।
इसकी शुरुआत दक्षिण भारत के केरल प्रान्त स्थित शबरी माला मंदिर आंदोलन के रूप में भी देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि दक्षिण में आंदोलन की शुरुआत हो चुकी है। हिन्दू परिवारों में धर्म के परम्परागत नियमों में छेड़छाड़ का विरोध न करने की घुट्टी पिलाकर मंदिर से जुड़े आंदोलन में जान फूंकने को जगाया जा रहा है। दक्षिण भारत के गांव-गांव पहुंच चुके इस आंदोलन की सफलता में ही अयोध्या राम मंदिर आंदोलन की सफ़लता देखी जा रही है।
विहिप बजरंग दल में 32 लाख कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने की मुहिम में जुट गया है। इसमें प्रवासी हिंदुओं को शामिल करने की योजना भी है। विहिप को उत्तर भारतीय हिंदुओं से थोड़ी से मदद मिलने पर भी इसे परवान चढ़ाया जा सकता है। इधर, विहिप के कुम्भ कैम्प में राम मंदिर का ढांचा रखकर लोगों के मानस पटल में निर्माण आंदोलन तेज करने का संकेत दिया जा रहा है।