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प्रयागराज

इलाहाबाद मेयर सीट पर मुश्किल में बीजेपी, इस उम्मीदवार ने बढ़ाई मुसीबत

डिप्टी सीएम के शहर में भाजपा को मिल रही काटें की टक्कर

प्रयागराजNov 21, 2017 / 02:17 pm

प्रसून पांडे

nikay chunaav 2017

Election

इलाहाबाद नगर निगम चुनाव के आखरी सप्ताह में सियासत अपने शबाब पर पहुंची है।और संगम नगरी के राजनीतिक मैदान में मुकाबला रोमांचक हो गया है।स्थानीय निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की सत्ता की साख जहां दांव पर है। वही अपने घर में अपने अस्तित्व को बचाने के लिए कांग्रेस ने पूरी ताकत लगा दी है। पहली बार निकाय चुनाव में कूदी बहुजन समाज पार्टी सिंबल देकर विरोधियो का खेल बिगाड़ने में सफल दिख रही है।तो ही सपा केंद्र और राज्य सरकार पर हमला कर अखिलेश के युवा नेतृत्व को बल देने की मांग कर रहा है।दोनों राष्ट्रिय पार्टियाँ कांग्रेस और भाजपा के नेता और कार्यकर्ता मंच से लेकर सड़कों तक शब्द बाण चला रहे है।

विधानसभा का चुनाव भले की गुजरात में हो रहा हो।लेकिन उसके धमक उत्तर प्रदेश के संगम नगरी में भी सुनायी दे रही है।ऐसा कोई मंच नहीं है जहां से कांग्रेस और भाजपा के दिग्गज नेता गुजरात की चर्चा ना कर रहे हो।तो वही बहुजन समाज पार्टी के बड़े नेता भले ही मंच नहीं सजा रहे हैं।लेकिन एक मजबूत वोट बैंक सपा भाजपा और कांग्रेस का उनके नीचे से खिसका कर चुनाव का मुक्बाला त्रिकोणीय कर दिए है।

सियासत के दंगल में दो दो हाथ कर रहे नेता साम दाम दंडभेद किसी से परहेज नही कर रहे है।कांग्रेस ने भाजपाई को टिकट दे दिया तो पुराने कांग्रेसी पर भाजपा ने फिर विश्वास जाताया हालाकि अब पूरा परिवार भाजपा में है।और खुद मेयर प्रत्याशी के पति योगी के कैबिनेट मंत्री है।समाजवादी पार्टी के नेता बिनोद चंद दुबे ब्राह्मण जाति से लाकर कांग्रेस और भाजपा का स्थानीय समीकरण बिगाड़ दिया है। निकाय चुनाव में अक्सर भाजपा अपनी जीत को लेकर आश्वस्त होती थी। और शहरों में मजबूत मानी जाती रही है।इलाहाबाद भाजपा का गढ़ माना जाता है।और ऐसे में जब खुद डिप्टी सीएम से लेकर तीन कैबिनेट मंत्री शहर के हो तब तो पूरी सत्ता की साख चुनाव से जुड़ी है।और सबसे बड़ी बात यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री की पत्नी मेयर के उम्मीदवार है।

निकाय चुनाव में मेयर पद पर सपा कांग्रेस और भाजपा की काटे की टक्कर मानी जा रही है।भाजपा के लोग सामने से तो नही लेकिन अंदर से अपने पूर्व साथी रहे कांग्रेस के प्रत्याशी विजय मिश्रा का साथ निभा रहे है।उसके पीछे पार्टी में टिकट को लेकर नाराजगी और एक ही परिवार पर शीर्ष नेतृत्व की कृपा होने का दर्द छुपा है।तो वही सपा ने ब्राहमण चेहरा उतार कर एक बड़े वोट बैंक में सेंध लगा दी है।वही मंचो से खुद के लिये अपील में विनोद चन्द्र दुबे अपने आखिरी चुनाव के होने की दुहाई दे रहे है।साथ ही स्थानीय स्तर पर भाजपा के काम काज को लेकर घेरने में जुटे है।तो व्यापारी नेता ब्रहामण होने के साथ ही भाजपा के बागी विजय मिश्रा जहाँ जाति गत पार्टी से जुड़े लोगो से वोट की आपिल कर रहे है।तो वही भजापा के व्यपारी वोटरों को भी लुभाने में लगे है।

राजनितिक जानकारों की माने तो जीत हार का अंतर बहुत थोड़े मतो का होगा।आखिरी समय में जनता जनार्दन है ए लेकिन अभी चुनाव की चर्चा तीनो उम्मीदवारों को मजबूत बता रही है। भाजपा के नाराज कार्यकर्ता कैबिनेट मंत्री की नजरो में रहने के लिये जहाँ खानापूर्ति में लगे है।तो वही कांग्रेस के कुछ पुराने जनाधार वाले चहरे सक्रिय दिख रहे है।सपा ने अपनी पूरी छात्र सभा की टीम को मैदान में उतार दिया है।बसपा के बड़े चेहरे रहे इन्द्रजीत सरोज सपा के मंचो से समर्थन मांग रहे है। वही सपा यूथ के युवा नेता बाबुल सिंह अचानक निकाय चुनाव में कांग्रेस के मंच पर है।

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