इसे भी पढ़े –सुन्दर भाटी गैंग का सदस्य बता डीएम ने लगाया गैगेस्टर, गिरफ्तारी पर रोक
अचानक इसे हटा देने से इस विषय के स्नातक अभ्यर्थियों के प्रतियोगी परीक्षा में बैठने के अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है ।आयोग की तरफ से कहा गया कि संघ लोक सेवा आयोग के पैटर्न को अपनाने के कारण ऐसा हुआ है । याची अधिवक्ता ने इसका विरोध किया और कहा कि अभ्यर्थियों के विषय चुनने के अधिकार का उल्लंघन है। आयोग को विषय निर्धारण का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जवाब मांगा है।