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प्रयागराज में छठ महापर्व की धूम, खरना आज, जाने कैसे कठिन है यह व्रत

पूर्वांचल, बिहार के साथ ही प्रयागराज में भी छठ महापर्व की धूम मची है।

प्रयागराजNov 18, 2023 / 12:22 pm

Krishna Rai

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प्रयागराज। संगम नगरी प्रयागराज में नहाय खाय की परंपरा के साथ सूर्य की उपासना के साथ ही डाला छठ व्रत की शुरुआत की गई। आज शनिवार को खरना होगा। चार दिवसीय छठ उत्सव को लेकर हर तरफ उल्लास का माहौल है। शुक्रवार को पहले दिन संगम के अलावा रामघाट, दशास्वमेघ घाट, बलुआ घाट, अरेल घाट, झूंसी घाट, मांडा घाट, महेवा घाट, घूरपुर आदि स्थानों पर वेदी बनाने और अपनी जगह तय करने के लिए व्रतियों के परिजन मौजूद रहे।
सबसे कठिन है यह व्रत
जानकारों का कहना है कि दुनिया का सबसे कठिन व्रत छठ महाव्रत है। इसमें चूल्हे पर आम की लकड़ियों से प्रसाद बनाना, 36 घंटे तक निराजल व्रत रहना, बिना सिलाई का कपड़ा पहनना, जमीन पर सोना। यह पूरी प्रक्रिया एक बहुत बड़ी साधना है। व्रती महिलाओं को इस तरह की तपस्या सबसे अलग बनाती है। आचार्य सच्चिदानंद तिवारी कहते हैं कि यह महाव्रत जितना मनभावन है उतना ही कठिन भी है। इसके नियम को निभाना अपने आप में एक तपस्या है। नहाय खाय के साथ छठ के अनुष्ठान नियम आरंभ हो जाते हैं। खरना के बाद निराजल व्रत भी आरंभ होता है, जो उदयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही पूर्ण होता है। इस अवधि में व्रती को खुद ही पूजन का प्रसाद भी तैयार करना होता है। शुद्धता का भी ध्यान रखना पड़ता है।

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