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प्रयागराज

2018 माघ मेले से पहले संतो में घमासान , मुख्यमंत्री तक पंहुचा किन्नरों अखाड़े का विवाद

किन्नर अखाड़े ने उज्जैन के कुम्भ में किया शाही स्नान , संगम नगरी में अखाडा परिषद नही दे रहा मान्यता

प्रयागराजDec 07, 2017 / 11:06 am

प्रसून पांडे

2018 magh mela

अखाड़े की मान्यता को लेकर संतो में विवाद

इलाहाबाद संगम नगरी में लगने वाले माघ मेले की तैयारियों के साथ एक बार फिर जमीन आवंटन और अखाड़ों की मान्यता को लेकर विवाद शुरू हो गया है। बीते साल में जहाँ महिलाओं के अखाड़े परी को लेकर विवाद था।तो वही इस बार परी के साथ मेले में किन्नर सन्यासियों को अखाड़ा परिषद से मान्यता ना मिलने से किसी भी तरह की सुविधा न देने और किन्नरो की किसी भी संस्था को धर्मिक मान्यता ना देने के चलते संतो में घमासान की स्थित बनती जा रही है।अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने किन्नरों को अखाडा मानने से इनकार कर दिया है। जिसके चलते उन्हें किसी भी तरह की प्रशासनिक व्यवस्था नही दी जा रही है।बिना अखाडा परिषद के मान्यता के कोई भी सुविधा मुहैया नहीं कराई जा सकती है।मेले में लगे अधिकारियों की माने तो मेला प्रशासन ने उन्हें किसी संस्था के नाम पर सुविधा मुहैया कराने को तैयार है। लेकिन अखाड़ा के नाम पर किसी को न भूमि आवंटित होगी ना होगी और ना ही किसी प्रकार की सुविधा मिलेगी।


किन्नर अखाडा की तरह ही महिलाओं के अखाड़ो को भी तवज्जो नहीं दी जा रही है।बीते साल की तरह यह निर्णय अखाड़ा परिषद ने लिया है की किसी भी नये अखाड़े को मान्यता नही जायेगी।और किसी नये अखाड़े को मेले में जमीन का आवंटन भी नही किया जाएगा। अखाडा परिषद के विरोध के चलते ही 2017 में परी अखाड़े को मेले में जमीन आवंटित नही गयी थी। गौरतलब है की बीते मेले में किन्नर सन्यासियों के प्रयाग में लगने वाले माघ मेला में शिविर लगाने की चर्चा थी। लेकिन उन्हें उस समय सुविधा और स्थान ना मिलने के चलते उनका कैंप नहीं लगता था। किन्नर सन्यासियों ने एक बार फिर से सुविधा और जमीन की मांग की है । सूत्रों की माने तो प्रशासन को सुविधा देने का मन तो बना रहा है। लेकिन अखाड़ा परिषद का उग्र हो सकता है जिसके चलते प्रशासन कोई निर्णय नही कर पा रह है। सनातन मान्यता के अनुसार और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महंत नरेंद्र गिरि के अनुसार 13 अखाड़े को ही धार्मिक स्थान मिलता है। उसे ही मिलेगाअखाड़ा परिषद किसी को 14 और 15 के रूप में स्वीकार करने को तैयार नहीं है।

वही किन्नर अखाड़ो का कहना है की उज्जैन के कुम्भ में उनको शाही स्नान और कल्पवास के लिए स्थान मिल सकता है। तो संगम में क्यों नही जबकि माघ मेले में कैंप लगाने और कल्पवास के जमीन आवंटन की मांग लेकर कई बार आ चुके है।और संगम स्नान और पूजन कर हर बार उन्होंने कुम्भ में आने की बात कही है।इसके पहले प्रयाग आये किन्नर अखाड़े के प्रमुख लक्ष्मी नारायण तिवारी ने शंकराचार्य स्वामी वासुदेवा नन्द सरस्वती से भी मुलाक़ात कर कल्पवास करने इच्छा प्रकट कर चुके है। किन्नर सन्यासियों ने मेला क्षेत्र में त्रिवेणी मार्ग पर स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती के कैम्प के पास स्थान और सुविधा मांगी है ।जिसमे 1500 वर्ग गज जमीन की मांग है। और 100 टेंट मांगे है। दो दर्जन से ज्यादा स्विस कॉटेज 50 नल 50 सोफे 200 कुर्सियों सहित तमाम सुविधाए मांगी है।

जबकि अखाडा परिषद् के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महराज ने साफ़ इनकार किया है की किन्नर अखाडा कोई अखाडा नही है।स्वयं भू है इन्हें परिषद कोई मान्यता नही दी है।उन्होंने पत्रिका से कहा की इस मामले पर खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात की है।की जो तेरह अखाड़े पहले से है सिर्फ उन्हें ही सरकारी सुविधाओं का लाभ मिलना चाहिए।महंत नरेद्र गिरी के अनुसार मुख्यमंत्री भी उनकी इस बात सहमत है और उन्होंने आश्वाशन दिया है।की इस तरह के किसी स्वयं भू संस्था को कोई भी सुविधा नही दी जायेगी। बता दें अखाड़ो को टेट बिजली पानी सुरक्षा सहित तमाम सुविधाए दी जाती है।

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