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संगम नगरी में बढ़ रहा है इस जानलेवा बीमारी का खतरा, इन 5 संकेतों से कर सकते हैं पहचान

अब लोगों को इस खतरनाक बामारी का खतरा…

प्रयागराजJun 26, 2018 / 03:13 pm

ज्योति मिनी

danger disease Filariasia increase in sanagm nagri Symptoms

संगम नगरी में बढ़ रहा है इस जानलेवा बीमारी का खतरा, इन 5 संकेतों से कर सकते हैं पहचान

इलाहाबाद. बदल रहे मौसम के साथ बीमारियों ने भी पांव पसराना शुरू कर दिया है। जिला मलेरिया विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार जहां जिले भर में मलेरिया के मरीजो में कमी हुई है, तो वहीं फायलेरिया नामक बिमारी तेज़ी से फ़ैल रही है। जिसकी जानकारी देते हुए जिला मलेरिया अधिकारी डॉ केपी दिवेदी ने बताया कि, विभाग के द्वारा जिले भर में कैम्प के जरिये लोगों को समय समय पर चिकित्सकीय परामर्श दी जा रही साथ ही मरीजो के जांच के सैम्पल लिए जा रहे हैं। मलेरिया की तरह फाइलेरिया भी मच्छरों के काटने से फ़ैल रही है।
फाइलेरिया के लक्षण

डॉ केपी द्वेवदी जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि, फाइलेरिया को बोलचाल की भाषा में हाथीपांव भी कहा जाता है। उन्होंने बताया कि, फाइलेरिया ग्रस्त मरीज को शुरुआत में तेज़ ठंठ लगकर तेज बुखार आना और पैर के जांघ में गिल्टियाँ उभर आती है। हाथ, पैर में सूजन आती है। फाइलेरिया ग्रस्त मरीज का पांव फूल जाता है। उसके घुटने के निचले हिस्से में काफी सूजन आ जाती है।
बचाव के लिए ये करें

इसिलए कीटनाशक छिड़की हुयी मच्छरदानी में ही सोएं। लम्बी आस्तीन वाली शर्ट पैंट पहनें । वही शहरों में रहने वाले लोग अपने घरो बेडरूम में मच्छर नष्ट करने वाले उपायों का इस्तेमाल करें। इससे बड़े स्तर पर बचाव संभव है ।
क्या कहते हैं आंकड़े
जिला मलेरिया विभाग के अनुसार इलाहाबाद में 2015 में 7290 मलेरिया के मरीज पाए गये थे। जबकि 2016 में 6136 मरीज और 2017 में 3372 मलेरिया के मरीज पाए गये। जिसके अनुसार प्रतिवर्ष मलेरिया मरीजों की संख्या घट रही है। विभाग की ओर से वर्ष 2015, 2016 , 2017 में 155265, 159934 , 121656 मरीजों की मलेरिया जांच की गई।लेकिन, वहीं जिले में खतरनाक तरीके से फायलेरिया अपना पांव पसार रहा है। जिसकी जकड़ में ज्यादातर ग्रामीण इलाकों के लोग आ रहे हैं। विभाग के अधिकारियों की माने तो 2016 में 9 मरीज और वर्ष 2017 में 15 जबकि मई 2018 अब तक 4 मरीज गंभीर रूप से पीड़ित पाए जा चुके हैं, कुछ मरीजो की जांच रिपोर्ट अभी आनी बाकी है। आकड़े के अनुसार हर साल फायलेरिया के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
जानलेवा मच्छर
मच्छर अब डेंगू चिकनगुनिया और मलेरिया के साथ लेम्फेटिक फाइलेरिया(हाथीपाँव) भी फैला रहे हैं। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ केपी द्वेवदी का उन्होंने बताया कि, मच्छर के काटने पर मरीज के खून में पतले घागे जैसे कीटाणु तैरने लगते हैं और परजीवी की कई वर्षों तक जिन्दा रह सकते हैं। जिसके लिए सावधान रहेने की आवश्यकता है। किसी भी तरह के लक्षण को महसूस करते ही तत्काल डॉ से सम्पर्क करें। उन्होंने कहा यह कीड़े लगभग 50000 माइक्रो फेलेरी लार्वा पैदा करते हैं। जो किसी व्यक्ति के रक्त प्रवाह में प्रवेश कर जाते हैं और जब मच्छर संक्रमित व्यक्ति को काटता है, उसमें प्रवेश कर जाते हैं। जिनके रक्त में माइक्रो फ्लेरी होते है,स्वस्थ दिखायी दे सकते हैं लेकिन वे संक्रामक हो सकते हैं। शारीर में विकसित लार्वा आदमी में लगभग पांच से आठ साल और अधिक समय तक जीवित रह सकता है।
input प्रसून पांडेय

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