जिला मलेरिया विभाग के अनुसार इलाहाबाद में 2015 में 7290 मलेरिया के मरीज पाए गये थे। जबकि 2016 में 6136 मरीज और 2017 में 3372 मलेरिया के मरीज पाए गये। जिसके अनुसार प्रतिवर्ष मलेरिया मरीजों की संख्या घट रही है। विभाग की ओर से वर्ष 2015, 2016 , 2017 में 155265, 159934 , 121656 मरीजों की मलेरिया जांच की गई।लेकिन, वहीं जिले में खतरनाक तरीके से फायलेरिया अपना पांव पसार रहा है। जिसकी जकड़ में ज्यादातर ग्रामीण इलाकों के लोग आ रहे हैं। विभाग के अधिकारियों की माने तो 2016 में 9 मरीज और वर्ष 2017 में 15 जबकि मई 2018 अब तक 4 मरीज गंभीर रूप से पीड़ित पाए जा चुके हैं, कुछ मरीजो की जांच रिपोर्ट अभी आनी बाकी है। आकड़े के अनुसार हर साल फायलेरिया के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
मच्छर अब डेंगू चिकनगुनिया और मलेरिया के साथ लेम्फेटिक फाइलेरिया(हाथीपाँव) भी फैला रहे हैं। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ केपी द्वेवदी का उन्होंने बताया कि, मच्छर के काटने पर मरीज के खून में पतले घागे जैसे कीटाणु तैरने लगते हैं और परजीवी की कई वर्षों तक जिन्दा रह सकते हैं। जिसके लिए सावधान रहेने की आवश्यकता है। किसी भी तरह के लक्षण को महसूस करते ही तत्काल डॉ से सम्पर्क करें। उन्होंने कहा यह कीड़े लगभग 50000 माइक्रो फेलेरी लार्वा पैदा करते हैं। जो किसी व्यक्ति के रक्त प्रवाह में प्रवेश कर जाते हैं और जब मच्छर संक्रमित व्यक्ति को काटता है, उसमें प्रवेश कर जाते हैं। जिनके रक्त में माइक्रो फ्लेरी होते है,स्वस्थ दिखायी दे सकते हैं लेकिन वे संक्रामक हो सकते हैं। शारीर में विकसित लार्वा आदमी में लगभग पांच से आठ साल और अधिक समय तक जीवित रह सकता है।