नीलू का आरोप है कि जमील ने उनसे तलाक के केस दायर करने के लिए 22 हजार रूपये लिए किन्तु मुकदमा दाखिल नहीं किया। दूसरे वकील से परिवार न्यायालय में पुनः रूपये देकर तलाक का मुकदमा दायर करना पड़ा। जमील ने रूपये वापस करने में टाल मटोल कर रहे है और अपनी ऊंची पहुंच बताकर भारी नुकसान उठाने की धमकी दे रहे है। बार काउंसिल की कमेटी के बुलाने पर एक बार हाजिर हुए। बाद में कई तिथियों पर बुलाये जाने पर हाजिर नहीं हुए। अपने बचाव में कोई जवाब दाखिल नहीं किया। समिति ने आवेदिका के आरोपों को सही मानते हुए 5 साल तक विधि व्यवसाय करने पर रोक लगा दी है। 18 अप्रैल 19 को जारी आदेश की सूचना जमील अहमद को बार काउंसिल के सचिव द्वारा 9 सितम्बर 2019 को भेजी गयी है।
BY- Court Corrospondence