12 फरवरी 18 को जारी सर्कुलर से बैंकों व कंपनियों को 27 अगस्त तक लोन अदायगी की कार्यवाही की छूट दी गयी है और कहा गया है कि 27 अगस्त के बाद 200 करोड़ से अधिक बकाये वाली कंपनियों को दिवालिया घोषित करने की कार्यवाही की जायेगी। कंपनियों का कहना है कि रेलवे, एनटीपीस व अन्य विभागों से उन्हें विद्युत मूल्य का भुगतान न मिल पाने के कारण लोन वापसी नहीं हो पा रही है। पार्लियामेंट्री कमेटी की सुधारात्मक संस्तुति पर भारत सरकार की उच्च स्तरीय कमेटी में विचार होना है अभी तक कोई निर्णय नहीं हो सका है।
सर्कुलर को लागू किया गया तो विद्युत उत्पादन कंपनियों की सिविल मृत्यु हो जायेगी। आरबीआई का कहना है कि बैंकों की खस्ता हालत व लोन खातों के एनपीए होने के संकट को देखते हुए बड़े बकायेदारों को मौका दिया गया है। बैंकों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। हालांकि आरबीआई की तरफ से कंपनियों के एसोसिएशन की तरफ से दाखिल याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति की गयी है।
इनका कहना है कि 26 सदस्य कंपनियों में से केवल तीन इलाहाबाद व अनपरा की कंपनियां ही उत्तर प्रदेश की है। शेष 23 कंपनियां प्रदेश के बाहर की है। साथ ही बैंकों व रेलवे आदि विभागों को भी पक्षकार नहीं बनाया गया है। कार्यालयों पर बैंकों का 14 हजार करोड़ बकाया है। सुनवाई बीस अगस्त को होगी।
By Court Correspondence
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