scriptतलाक को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13 का दिया हवाला | High Court Important Decision about Talaq Related Hindu Marriage Act | Patrika News
प्रयागराज

तलाक को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13 का दिया हवाला

कोर्ट ने कहा है कि संबंध में सुधार की गुंजाइश न होना तलाक का आधार नहीं बन सकता।
हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13 में इस आधार को शामिल नहीं किया गया है।

प्रयागराजAug 26, 2019 / 08:42 pm

रफतउद्दीन फरीद

High Court Order

हाईकोर्ट ऑर्डर

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि विवाह संबंधों में यदि सुधार की गुंजाइश न हो तो यह तलाक का आधार नहीं हो सकता। खासकर जब यह बात एक पक्ष से कही जा रही हो। कोर्ट ने कहा कि हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13 में इस आधार को शामिल नहीं किया गया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति राजीव मिश्र की खंडपीठ ने मेरठ की डॉ. सरिता की अपील को स्वीकार करते हुए दिया है। साथ ही उनके विरुद्ध पारित तलाक की डिक्री रद्द कर दी है। कोर्ट ने कहा कि अदालतें अपने विवेक से परिस्थियों का परीक्षण करके विवाह संबंध मृत पाए जाने की स्थिति में तलाक के आदेश करती हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसे मामले नजीर नहीं हो सकते। सर्वोच्च अदालत ने इसे कानून में शामिल करने के लिए सरकार को धारा 13 में संशोधन का सुझाव दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह तलाक का आधार हो सकता है लेकिन अदालत ऐसा कोई आदेश देती है तो इसका अर्थ है कि एक्ट में संशोधन, जो संसद का काम है, अदालत का नहीं।
कोर्ट ने कहा कि अपीलार्थी के मामले में पारिवारिक न्यायाधीश ने क्रूरता व विवाह संबंध में सुधार की गुंजाइश न होने पर तलाक मंजूर किया है लेकिन मानसिक क्रूरता को को सही तरह साबित नहीं किया गया। साथ ही सुधार की गुंजाइश न होने की बात पति की ओर कही गई जबकि उसने खुद पत्नी के साथ रहने से इनकार किया है।
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