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अब वाराणसी में गंगा किनारे बने भवनों की होगी मरम्मत, होईकोर्ट ने हटाई रोक

मरम्मत के लिए  राज्य सरकार द्वारा दाखिल  अर्जी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंजूर कर ली है

प्रयागराजApr 28, 2016 / 08:37 pm

Ashish Shukla

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इलाहाबाद. वाराणसी में गंगा किनारे जर्जर भवनों की मरम्मत व पुननिर्माण की अनुमति की मांग में दाखिल राज्य सरकार की अर्जी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंजूर कर ली है। कोर्ट ने वाराणसी विकास प्राधिकरण के संशोधित बाईलाज के मुताबिक भवनों की मरम्मत की सशर्त छूट दे दी है। कोर्ट ने कहा है कि पुननिर्माण में भवनों का स्वरूप न बदला जाए तथा उसके राष्ट्रीय धरोहर के महत्व को बरकरार रखा जाए। कोर्ट ने नये भवन निर्माण पर रोक बरकरार रखी है।

इलाहाबाद से हल्दिया तक परिवहन शुरू करने के लिए वाराणसी के रामनगर में बन रहे टर्मिनल जेटी का निर्माण पूरा करने की भी अनुमति मिल गयी है। कोर्ट ने राज्य सरकार की वाराणसी में पांच नए घाट बनाने तथा पुराने घाटों की मरम्मत की अनुमति की मांग में दाखिल अर्जी की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को केन्द्र व राज्य के अधिकारियों की गठित दस सदस्यीय कमेटी के समक्ष प्रस्ताव रखने को कहा है तथा कमेटी को पन्द्रह दिन में बैठक कर दोमाह में घाटों की मरम्मत की अनुमति पर निर्णय लेने का आदेश दिया है। साथ ही नए घाटों पर कमेटी के निर्णय की रिपोर्ट मांगी है ताकि कोर्ट इस पर विचार कर निर्णय ले सके। याचिका की अगली सुनवाई 27 मई को होगी।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.वाई.चन्द्रचुड तथा न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता की खण्डपीठ ने वाराणसी की कौटिल्या सोसायटी की जनहित याचिका पर दिया है। राज्य सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने कोर्ट से जर्जर हो चुके पुरातात्विक भवनों की मरम्मत व पुननिर्माण की अनुमति की अर्जी पर बहस करते हुए कहा कि भवनों में भारी संख्या में लोग निवास करते है। दुर्घटना में क्षति को टालने के लिए इनकी मरम्मत जरूरी है। वाराणसी विकास प्राधिकरण के बिना नक्शा पास कराए भवन मरम्मत व पुनर्निमाण की छूट देने के प्रस्ताव पर राज्य सरकार ने सहमति दे दी है। जिसके तहत भवनों की वास्तुकला व धरोहर को संरक्षित रखते हुए कोर्ट ने मरम्मत व पुननिर्माण की छूट दे दी। कोर्ट ने न्यायमित्र मनीष गोयल की रिपोर्ट पर भी विचार किया। कोर्ट ने कहा कि भवनों का बाहय स्वरूप बिना बदले पुननिर्माण किया जाए। 
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