अपने चैम्बर में न्यायमूर्ति शशिकांत ने बताया कि हिन्दी में निर्णय देने का विचार उनके मन में काफी समय से चल रहा था, हाईकोर्ट में हिंदी के स्टेनो कम होने के कारण भी दिक्कत आती है। मगर न्यायालय की भाषा आम लोगों की भाषा होनी चाहिए ताकि अंग्रेजी न जानने वाला व्यक्ति भी अदालत के फैसलों को पढ़ व समझ सके। न्यायमूर्ति शशिकांत ने 482 सीआरपीसी के तहत दाखिल मेसर्स नागदेव संस व अन्य को स्वीकार करते हुए याची संस्था के विरुद्ध पारित अवर न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया है। इसी प्रकार से दो जमानत प्रार्थनापत्रों पर भी उन्होंने हिन्दी में निर्णय दिया है।
संयुक्त राष्ट्र में भी हिन्दी भाषा लागू कराये केन्द्र सरकार: वीसी मिश्र
बार काउंसिल आफ इण्डिया के पूर्व चेयरमैन व हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वी.सी.मिश्र ने हिन्दी दिवस के अवसर पर आज कहा कि भारत सरकार हिन्दी को न केवल राष्ट्रभाषा घोषित करे, अपितु हिन्दी भाषा को संयुक्त राष्ट्र में लागू कराया जाए।
अधिवक्ता परिषद की हाईकोर्ट इकाई ने हिन्दी दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में हस बात पर बल दिया कि कोर्ट परिसर में अधिक से अधिक सरल भाषा में हिन्दी का प्रयोग किया जाए। अधिवक्ता परिषद उच्च न्यायालय इकाई का हिन्दी दिवस संगोष्ठी की अध्यक्षता अरूण मिश्र ने की। वक्ताओं ने हिन्दी भाषा का अधिक प्रयोग न्यायालयों में करने का संकल्प लिया। संगोष्ठी का संचालन अमित राय ने किया। संगोष्ठी में प्रमुख रूप से प्रेमशंकर, महेन्द्र मिश्र, आशीष दुबे, हरवंश सिंह, सुशील दूबे, जितेन्द्र पाण्डेय, उमाशंकर मिश्रा, नीरज कुमार, सुभाष उपाध्याय आदि अधिवक्ता मौजूद थे।
by PRASOON PANDEY