कोर्ट ने कहा है कि जो लोग हाईवे से अपने प्राइवेट साधन या पैदल प्रदेश में आये हैं उनका पता लगाकर निगरानी सूची में शामिल किया जाय। कोर्ट ने आम नागरिकों से भी अपील की है कि यदि उन्हें अपने आस पास प्रदेश के बाहर से आये व्यक्ति की जानकारी मिले तो वह शासन द्वारा जारी फोन नंबर पर इसकी सूचना तत्काल दे ताकि उसे निगरानी सूची में शामिल किया जा सके और बीमार होने पर इलाज हो सके। कोर्ट ने कहा है कि बाहर से प्रदेश में आने वाले हर व्यक्ति को 15 दिन कोरेन्टाइन सेन्टर में अनिवार्य रूप से रखा जाय और सेन्टर की सफाई व सेनेटाइजेशन की व्यवस्था की जाय ताकि गंदगी से अन्य बीमारी न फैले।
कोर्ट ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया है कि वह बाहर से आये लोगो के सुनियोजित तरीके से ठहरने की व्यवस्था करे। कोर्ट ने 18 मई को कार्यवाही रिपोर्ट पेश करने को कहा है। कोर्ट ने प्रयागराज में कई निर्देशों के बावजूद अस्पतालों में जांच व इलाज की सुविधाएं उपलब्ध न कराने पर नाराजगी जताई और कहा है कि अस्पतालों व कोरेन्टाइन सेन्टर में व्याप्त गंदगी व अव्यवस्था तथा शारीरिक दूरी बनाये रखने के दिशानिर्देश का पालन न करने के फोटोग्राफ स्वयं सच्चाई बता रहे हैं।
कोर्ट ने कहा कि सरकार शहर के अस्पतालों व सामुदायिक केन्द्रो में जरूरी सुविधाएं क्यो नही दे पा रही है। कोर्ट ने कहा है कि वित्तीय दिक्कत है तो केन्द्र सरकार राज्य सरकार को मदद करे। कोर्ट ने कहा कि एस आर एन अस्पताल के अलावा किसी अस्पताल में आई सी सी यू नही है। प्राइवेट अस्पतालों को बंद कर दिया गया है और सरकारी अस्पतालों में रोजमर्रा के मरीजों का इलाज नही हो रहा है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि कब तक वह कल्विनए मोतीलाल नेहरू , टीबी बेली अस्पतालों सहित जिले के 105 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में सुविधाएं उपलब्ध करायेगी। याचिका की सुनवाई 18 मई को होगी।