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प्रयागराज

माघ मेले में आकर्षण का केंद्र बने खरगोश वाले बाबा, बनवाते हैं स्पेशल डिश, खिलाते हैं मोमोज

माघ मेला में आये साधु संतों के कई रंग देखने को मिल रहे हैं। साधु संतों के शिविरों में हर ओर अलग ही छटा बिखरी है।

प्रयागराजFeb 05, 2021 / 10:37 am

नितिन श्रीवास्तव

माघ मेले में आकर्षण का केंद्र बने खरगोश वाले बाबा, बनवाते हैं स्पेशल डिश, खिलाते हैं मोमोज

माघ मेले में आकर्षण का केंद्र बने खरगोश वाले बाबा, बनवाते हैं स्पेशल डिश, खिलाते हैं मोमोज

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

प्रयागराज. यूपी के प्रयागराज में संगम की रेती पर इन दिनों माघ मेला चल रहा है। मेले में आये साधु संतों के कई रंग देखने को मिल रहे हैं। साधु संतों के शिविरों में हर ओर अलग ही छटा बिखरी है। कहीं लम्बी जटाओं वाले सन्यासी धूनी रमाये हुए नजर आ रहे हैं, तो भक्ति साधना में लीन संत महात्मा दिख रहे हैं। वहीं मेले में कई साधु-संत अपने खास पहनावे की वजह से चर्चा में हैं, तो कई सन्यासी अपने खास शौक के लिए मेले में लोगों के बीच सुर्खियां बटोर रहे हैं। ऐसे ही वैष्णव सम्प्रदाय के एक अनोखे संत महामंडलेश्वर कपिल देवदास नागा हैं, जो संत होने के साथ ही जीवों से प्रेम भी करते हैं। उन्होंने अपने आश्रम में खरगोश पाल रखा है। जिसकी वजह से लोग उन्हें खरगोश वाले बाबा के रुप में भी जानते हैं। खास बात ये है कि इन खरगोशों को फास्ट फूड में मोमोज और चाउमीन खास तौर पर पसंद है। जिसके आगे आते ही ये नन्हें खरगोश चट कर जाते हैं।
खरगोश वाले बाबा

चित्रकूट जिले के मां तारा आश्रम के महामंडलेश्वर कपिल देवदास नागा जहां पर बैठते हैं, इनके आसन के चारों ओर खरगोश ही खरगोश नजर आते हैं। ये खरगोश बाबा को इतने प्रिय हैं कि बाबा के साथ खरगोश खेलते रहते हैं। बाबा के मुताबिक पिछले 10 सालों से उनके आश्रम में खरगोश पाले जा रहे हैं। लेकिन उनका ये शौक इससे भी पुराना है, इससे पहले नागा बाबा सांप और बंदर भी पाल चुके हैं। हालांकि इन खरगोशों की देखभाल महामंडलेश्वर कपिल देवदास नागा की बेटी योगाचार्य राधिका वैष्णव ही करती हैं। राधिका के मुताबिक इन खरगोशों को सब कुछ खिलाया जाता है, लेकिन इन्हें फास्ट फूड मोमोज और चाउमीन खास तौर पर पसंद है। फास्टफूड के सामने आते ही ये नन्हें खरगोश चट कर जाते हैं।
श्वेत रंग शान्ति और एकाग्रता का प्रतीक

बाबा के आश्रम में दस वयस्क और सात बच्चे खरगोश पाले गए हैं। वहीं महामंडलेश्वर कपिल देवदास नागा के मुताबिक श्वेत रंग शान्ति और एकाग्रता का प्रतीक है और इन खरगोशों का रंग भी यही है। इसलिए इनके आस पास रहने से मन को शान्ति मिलने के साथ ही एकाग्रता आती है, जिससे साधना में कोई विघ्न बाधा नहीं आती। बाबा के मुताबिक कथा के समय भी ये खरगोश उनके व्यास पीठ के आस-पास ही रहते हैं और भक्तों की भी एकाग्रता इससे बनी रहती है।

धार्मिक उत्पीड़न के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट जाएगा किन्नर अखाड़ा

किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी महाराज ने किन्नरों के धार्मिक उत्पीड़न पर बेहद सख्त रुख अख्तियार किया है। उन्होंने दो टूक कहा कि किन्नर अखाड़ा अब धार्मिक उत्पीड़न बर्दाश्त नही करेगा। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि किन्नर अखाड़ा धर्म परिवर्तन को रोकने में जुटा हुआ है। बड़ी संख्या में लोग सनातन धर्म में वापसी करने लगे हैं लेकिन, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के कई पदाधिकारी आए दिन किन्नर अखाड़ा और उसके पदाधिकारियों पर धार्मिक और सामाजिक आक्षेप करते रहते हैं।
सनातन धर्म में वापसी

साल 2015 में अखाड़े के गठन के बाद बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी सनातन धर्म की ओर लौटे जिन्होंने किन्हीं कारणों से सनातन धर्म को छोड़कर अन्य धर्म स्वीकार कर लिया था। वे दोबारा सनातन धर्म में वापसी करने लगे हैं। इतना ही नहीं घर वापसी करने वालों को किन्नर अखाड़ा सामाजिक और आर्थिक रूप से संरक्षण देते हुए समाज की मुख्यधारा में ला रहा है। कोरोना काल के दौरान प्रभावित लोगों, किन्नरों और ट्रांसजेंडरों में 100 टन खाद्यान्न, तेल, चीनी, घी, साबुन, सर्फ, चायपत्ती, मसाला, नमक, पाउडर दूध, मास्क, सैनिटाइजर सहित अन्य सामग्रियां बांटी गईं। माघ मेला के ओल्ड जीटी रोड और संगम लोवर मार्ग पर लगे शिविर में लक्ष्मी ने कहा कि किन्नर अखाड़ा न तो डरता और न दबता है। ऐसे में किसी भी प्रकार के विरोध पर उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय किन्नरों के पक्ष में आया है, लेकिन सरकार की ओर से किन्नरों की बेहतरी के लिए अब तक कोई काम नहीं शुरू किया गया है, न ही उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ ही मिल रहा है।

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